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________________ इन्द्रियस्थान- म० १२. (८६७) जाना या चिंघाड वा गालीका सुनना या चोट लगना या चलते हुए कोई रोके . अथवा आगेसे कोई ताडना करे या कोई मनुष्य आगेसे कपंडा, पगडी, चद्दर, छतरी, जूता, आदि मृत्शय्याका सामान लिये मिले अथवा इनमेंसे किसी एक वस्तुको भी लेकर मिले या रास्तेमें किसी प्रकारके व्यसनका दर्शन हो अथवा किसी मरेहुए मनुष्यका रोदन आदि सुनाई पडे या लाश दिखाई देवे तो रोगीको देखनेके लिये नहीं जाना चाहिये ॥ २४ ॥ २५ ॥ चैत्यध्वजपताकालांचूर्णानांपतनानिच । हतानिष्टप्रवादाश्चदर्शनं भस्मपांसुभिः॥ २६ ॥ पथच्छेदोविडालेनशुनासणवापुनः। . मृगद्विजानांकुराणांगिरोदीक्षांनिशंप्रति॥ २७॥शयनासनयानानासुत्तानानांप्रदर्शनम् । इत्येतान्यप्रशस्तानितर्वाण्याहुर्मनीषिणः ॥ २८॥ अथवा वौद्धोंका मन्दिर या देवस्थान,देववृक्ष या ध्वजापताका वा चूना रास्तमें गिराहुआ हो या गिरताहुआ दिखाईदे किसीकी मारनेकी अथवा अन्य प्रकारकी अनिष्ट आवाज सुनाईदे वा रास्तेमें राख या धूल उडती हो या बिल्ली, कुत्ता अथवा सांप वैद्यके आगे रास्ता काटकर निकलजावे या मृग अथवा पक्षियोंका सूर्यके सन्मुख दूर शब्द करना अथवा शय्या, आसन, यान रास्तेमें उलटे पडे देखना इत्यादि सब प्रकारके अशुभौंको बुद्धिमान् वैद्य रोगीको देखनेके लिये जाते समय अशुभ शकुन कहतेहैं ॥ २६ ॥ २७ ॥ २८ ॥ एतानिपथिवैचनपश्यतातरवमनि। . शृण्वताचनगन्तव्यतदागारविपश्चिता ॥ २९ ॥ वैद्य मागेमें इस प्रकारके अशुभ शकुनोंको देखकर अथवा अशुभ शब्दोंको -सुनकर रोगीके घरको न जावे ॥ २९ ॥ इत्यौत्पातिकमाख्यातंपथिवैद्यविगार्हतम् । इमामापिचबुध्येतगृहावस्थांमुमूर्षताम् ॥ ३०॥ इसप्रकार रोगीको देखने जातेहुए मार्गमें होनेवाले अशुभ उत्पातोंका वर्णन कर दियागया है । अब रोगीके घर पहुंचनेपर जो मरनेवालेके उत्पात होतेहैं उनको भी भवण करो ॥ ३०॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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