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________________ ( ८२८ ) वरकसंहिता - मा० टी० । · सुनाई पडनेवाला अनाहत शब्द जो होता है उसको न सुनसके उसकी व्यवश्य मृत्यु होती है | बुद्धिमान् वैद्य ऐसे रोगियोंको मृतप्राय समझकर त्याग देवे ॥ १८ ॥ नासिकाद्वारा परीक्षा । विपर्ययेणयोविद्याद्धानां साध्वसाधुताम् । नवातान्सर्वशेोविद्यात्तविद्याद्विगतायुषम् ॥ १९ ॥ जो रोगी उत्तम सुगंधिको दुर्गंध और दुर्गंधको उत्तम सुगंध प्रतीत करे अथवा "बिल्कुल गंधज्ञानरहित होजाय उसको गतायु जानना चाहिये ॥ १९ ॥ त्वचाद्वारा परीक्षा | योरसान्नाविजानातिनवाजानातितत्त्वतः । मुखपाकादृते पक्कंतमाहुः कुशलानरम् ॥ २० ॥ जिस रोगीको विना किसी मुखके विकारके किसी प्रकार के भी मीठे हे रसका ज्ञान हो अथवा रसके तत्त्वको न जानसके उस मनुष्यको मरणासन्न जानना -चाहिये ॥ २० ॥ उष्णाञ्छीतान्खराज्छुणान्मृदूनपिचदारुणान् । स्पर्शान्स्पृष्ट्वा ततोऽन्यत्वंमुमूर्षुस्तेषुमन्यते ॥ २१ ॥ जो मनुष्य उष्ण द्रव्योंको शीतल, खरदरे द्रव्योंको चिकने, नरम द्रव्योंको कठोर इनके सिवाय अन्य भी स्पृश्य वस्तुओंको स्पर्श कर विपरीत प्रतीत करे उसको भी मरनेवाला जानना चाहिये ॥ २१ ॥ अन्तरेणतपस्तीत्र्योगंवाविधिपूर्वकम् । इन्द्रियैरधिकं पश्यन्पञ्चत्वमधिगच्छति ॥ २२ ॥ जो मनुष्य तीव्र तपस्या के विना अथवा विधिवत् योगसाधन विना अतीन्द्रिय विषयोंको जानने लगजाय अथवा इन्द्रियोंसे देखने लगजाय वह मृत्युको प्राप्त होताहै ॥ २२ ॥ • इन्द्रियाणामृते दृष्टेरिन्द्रियार्थान्न पश्यति । विपर्य्ययेणयोविद्यात्तविद्याद्विगतायुषम् ॥ २३ ॥ जो मनुष्य दृष्टिके विना अन्य इंद्रियकि शब्दादि ज्ञानको न जानसके परन्तु : दृष्टिद्वारा अन्य इन्द्रियों के विषयोंको भी जानने लगजाय अथवा संपूर्ण इन्द्रि योक ज्ञानको विपरीत भावसे जाने वह मृत्युको प्राप्त होताहै ॥ २३ ॥ 1
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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