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________________ शारीरस्थान-अ०८ स्त्रों और पुरुषका रज, वीर्य, योनि और गर्भाशय निदोष होनेपर उत्तम संतान उत्पन्न करनेकी इच्छावाले स्त्री पुरुषों को जो कर्म करना चाहिये उसका वर्णन करते हैं ॥१॥ अथाप्येतोस्त्रीपुरुषोस्नेहस्वेदाभ्यामुपपायवमनविरेचनाभ्यांसं-- शोध्यक्रमाप्रतिमापादयेत्संशुद्धौचास्थापनानुवासनाभ्यामुपाचरेदुपाचरेञ्चमधुरौषधसंस्कृताभ्यांघृतक्षीराज्यांपुरुषस्त्रिय- . न्तुतैलमांसाभ्याम् ॥ २॥ प्रथम स्त्री और पुरुष स्नेहन स्वेदनसे शरीरको नरम बनाकर क्रमपूर्वक वमन, विरेचन द्वारा संशोधनकर शरीरको उत्तम बनावे और दोषादिकोंसे शुद्ध शरीर होनेपर मधुर द्रव्योंसे और घृत दूधसे पुरुषको आस्थापन और अनुवासन करे। स्त्रीको तेल और मांसरससे अनुवासन करे ॥२॥ स्त्रीपुरुषका कर्तव्य कर्म। ततःपुष्पात्प्रभृतित्रिरात्रमालीब्रह्मचारिण्यधःशायिनीपाणि. भ्यामन्नमजर्जरपात्रेभुञ्जानानचकाचिदेवमृजामापयेत ॥३॥ इनके अनन्तर जव स्त्री ऋतुमती हो तो जिस समयसे रजोदर्शन हो उसी समयसे तीन रात्रितक ब्रह्मचर्यमें स्थित रहे और पृथ्वीमें शयन करे,पुराने वर्तन अथवा मट्टीके पात्र में या हाथोंपर लेकर भोजन किया करे किसीसे स्पर्श न करे और किसी प्रकारका भी अहित कार्य न करे ॥ ३ ॥ ततश्चतुर्थेऽहन्येनामुत्साद्यसशिरस्कंस्तापयित्वाशुक्लानिवासांस्याच्छादयेत्पुरुषश्च ॥ ४॥ इसके अनन्तर चौथे दिन शरीरमें तैलकी मालिशकर उबटन लगा शिरसहित स्नान करे । स्वच्छ सुन्दर वस्त्र तथा फूलमाला आदि धारण करे । और पुरुषकोभी स्नान करा गंधादि लेपन करा, श्वेत स्वच्छ वखोंको धारण करावे ॥ ४ ॥ ततःशुकवाससौचस्त्रग्विणौसुमनसावन्योन्यमभिकामासंवसेतामितिब्रूयात् ॥ ५॥ ‘फिर वैद्य इन दोनों शुद्ध पवित्र वस्त्र धारण कियेहुए, फूलमालासे विभूषित शुद्धमनवाले, परस्पर संहवासकी इच्छावाले स्त्री पुरुषोंसे कहे कि तुम दोनों संवानकी कामनासे जाकर सहवास करो ॥ ५॥ . .. .. .. ....
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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