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________________ (५८०) चरकसंहिता-भा० टी०। लशेसमवाप्यानुगुप्तनिधापयेत् । तेषांतुखलुचूर्णानांपाणितलं चूर्णयावद्वासाधुमन्येतक्षौद्रेणसंसृज्यक्रिमिकोष्ठायलेढुंयच्छेत् २८ अथवा घोडेकी ताजी लीद लेकर किसी बडे टाट या चटाईपर डाल सुखा लेने फिर उस सूखी लीदको उखलीमें डालकर वारीक चूर्ण करे फिर उसको सिलपर पीसा । कर अत्यन्त महीन बनाले इसके अनन्तर बायविडंगके काथकी आठ भावना अथवा त्रिफलेके क्वाथकी दश भावना या दोनोंकी भावना देवे और प्रत्येक भावनांके अनन्तर धूपमें सुखाता जावे फिर इसको सुखाकर कपडछान कर लेवे और एक नये महोके पात्र में भरकर अलग रख देवे और इसका किसीको भेद न बतावे । इसमेंसे एक तोलाभर चूर्ण अथवा दो या तीन तोलाभर जितना उचित समझे शहदमें मिलाकर जिस मनुष्यके कोष्ठमें काम हों उसको चटादियाकरे ॥ २८ ॥ तथाभल्लातकास्थान्याहार्यकलशप्रमाणेनसम्पोथ्यस्नहभावितेहढेकलशेसूक्ष्मानेकच्छिद्रबध्नेमृदावलिसमवाप्योडपेनपिधायभूमौआकण्ठनिखातस्यस्नेहभावितस्यैवअन्यस्यदृढस्यकुम्भस्यउपरिसमारोप्यसमन्तात्गोमयैरुपचित्यदाहयेत् । सयदाजानीयात्साधुदग्धानिगोमयानिगलितम्नेहानिभल्लातकास्थीनिततस्तंकुम्भमुद्धारयेत्।अथतस्माद्वितीयात् कुम्भात्तस्नेहमादायविडङ्गतण्डुलचूर्णैःस्नेहाईमात्रैः प्रतिसंसृज्यातपेसर्वमहः स्थापयित्वाततोस्मैमात्रांप्रयच्छेत्पानाय । तेनसाधुविरिच्यते विरिक्तस्थचानुपूर्वीयथोक्ता ॥ २९ ॥ अथवा भेलावेकी १६ सेर गुठलियोंको लेकर थोडा कूट लेवे फिर किसी पक्कै चिकने घडेमें भरदेवे और उस घडेके नीचे बारीक बारीक छिद्र रहने देवे तथा उसके मुखको, सरावसे ढककर कपडमट्टी करदेवे और उस घडेके नीचे जिस जगह छिद्र , हों एक खुले मुखका चिकना पात्र रखदेवे अर्थात् नीचेके खाली चिकने पात्रके मुखपर औषधीवाले घडेके छिद्रोंको टिका कपडमिट्टीसे बंद करदेवे फिर जमीनमें एक गढा खोदकर उसमें नीचे के सम्पूर्ण पात्रको दबा देवे और थोडासा हिस्सा उपरले घडेका भी मट्टीमें आजाना चाहिये । फिर इस घडेके चारोंतरफसे मट्टीको दबा इसके ऊपर चारोंओर सूखे जंगली उपले लगाकर आग लगादेवोजब जाने कि उपाले घडेके भेलावोंका आगकी गर्मीसे सब तेल नीचके पात्रमें टपक चुकाहै तों शीवर होजानेपर घडेके उपरकी राख मट्टी सावधानीसे हटाकर नीचेके पात्र में
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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