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________________ अपवनमालीयमृणालभिप्रोक्षणद्भिश्चर (५६६) चरकसंहिता-भा० टी०। रसुरभिशातहृद्यानांगन्धानाञ्चोपसेवामुक्तामाणिहारावलीनाञ्चपवनशिशिरवारिसंस्थितानांधारणमुरसाक्षणेक्षणेस्त्रश्चन्दनप्रियङ्गुकालीयमृणालशीतवातवारिभिरुत्पलकुमुदकोकनदीगन्धिकपद्मानुगतैश्चवारभिरभिप्रोक्षणश्रुतिसुखमृदुमधुरमनोऽ. नुगानाञ्चगीतवादित्राणांश्रवणञ्चाभ्युदयानांसुहृद्भिश्चसंयोगःसं-- योगश्चइष्टाभिःस्त्रीभिःशीतोपहितांशुकग्धारिणीभिर्निशाकरांशुशीतप्रवातहयेवासःशैलान्तरपुलिनशिशिरसदनवसनव्यजनपवनानांसेवारल्याणाञ्चोपवनानांसुखशिशिरसुरभिमारुतोपवातानामुपलेवनसेवनञ्चनलिनोत्पलपद्मकुसुदसागन्धिकपुण्डरीकशतपत्रहस्तानांसोल्यानाञ्चसर्वभावानामिति ॥२३॥ उस पित्तको जीतनेके लिये पित्तनाशक घृतका पीना तथा पित्तनाशक घृतोद्वारा स्नेहन करना, विरेचन कराना एवम् मधुर, तिक्त, कषाय, शीतल औषधियोंका सेवन करना तथा मृदु, मधुर, सुगंधित, शीतल हृदयको प्रिय एसे आहारोंका सवन करना सुगांधका लेना तयाचंदन आदि शीतल गंधोका लगाना,मोती और मणियोंकी माला पहिनना, शीतल पवन तथा शीतल जलके छींटे छातीपर लेंना, क्षणक्षणमें चंदन, अगर, प्रियंगु,कमलकी डण्डी, शीतल और सुगंधित कमल कुमोदिनी, कोकनद, कल्हार आदिक कमलोंको शीतल जल और पवनसे ठण्डे कर उनसे शीतल जल अपने शरीरपर छिडकना, कानोंको सुखदायक मृदु मधुर, मनोहर गीत और वाजोंका सुनना, उत्तम शब्दोंको सुनना अपने प्यारे मित्रोंसे मिलना शीतल सुगन्धित पुष्पमाला आदि धारण कियेहुए सुशोभित स्त्रियोंसे सहवास करना शीतल वायुयुक्त चंद्रमाकी चांदनीको महलकी छतपर लेटकर सेवन करना, पहाडमें बहनेवाली नदियों के किनारे लथा ठण्डे मकानोंमें रहना शीतल वस्त्र धारण करना शीतल पखेकी पवन लेना, रमणीय सुगंधित शीतल बागों में शीतल सुगंधित पवनका सेवन करना, नलिनी, उत्पल, पद्म, कुसुद, कलार पुण्डरीक, शतपत्र आदि पुष्पोंको धारण किये सब प्रकारके सौम्यभावोंका सेवन करना पित्तके कोपको शान्त करता है ॥ २३ ॥ कफका प्रकोप और जीतनेका क्रम । श्लेष्मलस्थापिश्लेष्मप्रकोपणोक्तान्यासेवमानस्यक्षिप्रश्लेष्म
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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