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________________ विमानस्थान-अ०४. (९४७) विज्ञानकी परीक्षा, संगद्वारा रजोगुणकी परीक्षा, नष्टज्ञानद्वारा मोहकी परीक्षा,अभिद्रोह द्वारा क्रोधकी परीक्षा, दीनताद्वारा शोककी परीक्षा, प्रसन्नतासे हर्षकी परीक्षा, संतोषसे प्रीतिकी परीक्षा, विषादसे भयकी परीक्षा, अविषादसे धैर्यकी परीक्षा, उत्साहसे पराक्रमकी परीक्षा, अभ्रान्तिसे स्थिरताको परीक्षाका अनुमान करना चाहिये एवम् मनके अभिप्रायसे श्रद्धा, धारणासे मेधा, नाम लेनसे संज्ञा, स्मरणसे स्मृति, संकोचसे लज्जा, शीलतासे स्वभाव, त्यागसे द्वेष, अनुबंधसे. उपाधि, चपलता न होनेसे धृति और विधेयतासे वशीभूतकी परीक्षाका अनुमान किया जाताहै इसी प्रकार-काल,देश,उपशय और वेदनाविशेषसे यथाक्रम,अवस्था,भक्ति,सात्म्य, व्याधि तथा निदानका अनुमान किया जाता है।उपशय और अनुपशय द्वारा गूढ लक्षणवाली व्याधियोंका अनुमान किया जाता है।अपचारविशेषसे दोषका प्रमाण विशेष जाना जाताहै अरिष्टद्वारा आयुके क्षयका अनुमान कियाजाताहै । कल्याणकारक योगों में चित्तके लगनेसे शुभका अनुमान कियाजाताहै और विकाररहित होनेसे विमल सतोगुणका अनुमान कियाजाताहै । ग्रहणीकी नम्रता और कठोरता दु:स्वम दर्शन, अभिप्राय, द्वेष, इष्ट, सुख, दुःख, यह सब विषय रोगीसे प्रश्न: द्वारा जानने चाहिये ॥ ८ ॥ भवान्तचात्र । · · आततश्चोपदेशेनप्रत्यक्षकरणेनच । । ___ अनुमानेनचव्याधीन्सम्यग्विद्याद्विचक्षणः ॥ ९॥ यहांपर कहा है कि, चतुर वैद्य आप्तेक उपदेशसे, प्रत्यक्ष करणसे ,एवम् अनुमानसे व्याधियोंको भली प्रकार जाने ॥९॥ __ सर्वथासर्वमालोच्ययथासम्भवमर्थवित् । ... अथाध्यवस्येत्तत्त्वेचकार्येचतदनन्तरम् ॥ १० ॥ अर्थको जाननेवाला वैद्य सब प्रकारसे सब विषयोंको विचारकर यथा संभव कारण और कार्यको जान लेवे । जव संपूर्ण कारणादिका निश्चय करलेवे तदनन्तर कार्यके विषयमें निश्चय करे ॥ १० ॥ . . . . कार्यतत्वविशेषज्ञःप्रतिपत्तौनमुह्यति ।... . .. .. . . . अमूढःफलमाप्नोतियदमोहनिमित्तजम् ॥ ११ ॥ . कार्यके. तत्त्वके निश्चयज्ञानवाला.वैद्य समय प्राप्त होनेपर मोहको प्राप्त नहीं होता। मोहको प्राप्त न होनेसे यथार्थ फलको प्राप्त ोताहै ॥ ११ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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