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________________ निदानस्थान-अ० ३. गुल्मको उत्पन्न करदेताहै । फिर वह पित्तगुल्म-कुक्षि, हृदय. छाती, कण्ठ, इन सबमें दाहको उत्पन्न करताहै वह गुल्म दाहयुक्त होकर धूएंकीसी तथा खटाईयुक्त डकारको उत्पन्न करताहै और गुल्म स्थानमें दाह तथा पीडा होतीहै एवम् धूआंसा . निकलता हुआ प्रतीत होताहै, पसीने आते हैं शरीरमें गीलापनसा उत्पन्न होजाता. . है । वह गीला नरम और शिथिलसा प्रतीत होता है स्पर्शको सह नहीं सकता,... थोडाथोडा रोमाञ्च होताहै एवम्,ज्वर,भ्रम,दाह,प्यास,मुख,गल,तालू इनका सूखना, मोह तथा दस्तका लगना और त्वचा, नख, नेत्र, मुख, मूत्र, पुरीष इन सबका हल्दीके समान रंग होना, पित्तकारक पदार्थोंसे बढना और उसके विपरतिोंसे शान्त होना यह पित्तगुल्मके लक्षण होते हैं ॥ ८ ॥ कफके प्रकुपित होनेका कारण। तैरेवतुकर्षणैःकर्षितस्यात्यशनास्निग्धगुरुमधुरशीताशनारिपटेक्षुक्षीरमापतिलगुडविकृतिसेवनमद्यपानाद्धरितकातिप्रणिनयादानूपोदकयाम्यमांसातिभक्षणासन्धारणादतिसुहितस्य चातिप्रगाढमुदकपानात्संक्षोभणाद्वाशरीरस्यश्लेष्मासहमारुतेनप्रकोपमापद्यते ॥९॥ . उसी प्रकार वमन, विरेचनादि कारणोंसे कर्षित हुए मनुष्यके अधिक भोजन करनेसे तथा स्निग्ध,गुरु, मधुर, शीतल पदार्थों के खानेसे, मैदा आदि पिष्ट पदार्थ, गुड, दूध, उडद, तिल, मिठाई आदि पदार्थोंके अधिक सेवनसे, गंदक तथा सडी हुई मद्यके पीनेसे, अधिक सब्जियों के खानेसे, अनूपसंचारी तथा ग्राम्यजीवोंका मांस अधिक खानेसे, मल, मूत्रादि वेगोंको रोकनेसे, प्यारे पदार्थोंको बहुत. ज्यादे खानसे, अधिक जलपानसे, शरीरके अधिक हलचल होनेसे, कफ वायुके. साथ कोपको प्राप्त होता है ॥ ९॥ प्रकुपितकफसे गुल्मकी उत्पत्ति । तंप्रकुपितंमारुतआमाशयैकदेशेसंवय॑तानेववेदनाप्रकारानुप- . जनयतियउक्तावातगुल्मे । श्लेष्मात्वस्यशीतज्वरारोचकावि--. पाकाङ्गमर्दहर्षहृद्रोगच्छदिनिहालस्यस्तैमित्यगौरवशिरोमि-- : तापानुपजनयतिअपिचगुल्मस्यस्थैर्यगौरवकाठिन्यावगाढसुघताःतथाकासश्वासप्रतिश्यायानराजयक्ष्माणञ्चातिप्रवृद्धः..त्यंत्वनखनयनवदनमूत्रपुरीषेषुउपजनयतिनिदानोक्तानि :
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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