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________________ चरकसंहिता-भा० टी० ॥ उस ज्वरके यह लक्षण होते हैं।जैसे-ज्वरके चढनेके समय और उतरनेके समय शरीरके तापमें विषमता, कभी शरीरका अधिक तपना और कभी थोडा तपना, जारका एकसा न रहना, कभी ज्वर तीक्ष्ण और कभी मंद होना, तथा भोजनके "वजानेके अनन्तर सायंकालमें एवम् वर्षा ऋतुमें उत्पत्ति अथवा वृद्धि होना एवम् नख, नेत्र, मुख, मूब, मल और त्वचा इन सवका कठोर और शुष्क होजानातथा लाल वर्णके दिखाई देना, शरीरका वर्ण चिकटा सा हो जाना, शरीरके अंगोंमें 'क्षणक्षणमें इधर उधर चलनेवाली. तथा स्थिर रहनेवाली वायुकी पीडा होना जैसे पैरोंका सोजाना, पिण्डलियोंमें उद्देष्टन (लपेटनेकीसी पीडा) होना, नानुमओंका तथा अन्य संधियोंका ढीले ढलिसे पड़ जाना, दोनों जांघोंका रहसा जाना, कटि, 'पार्थ, पीठ, कंधे, भुजा और कंधके ऊपरके भागमें एवम् वक्षस्थलमें तोडनेकीसी पीडा तथा मर्दन करनेकीसी पीडा एवम् मथनेकीसी पीडा होना तथा चटकानेकीसी. पीडा, मीडनेकीसी पीडा और सूई चुभानेसी पीडा होना, ठोडीका जकडना कानों में शब्द होना, कनपटियों में सूई चुभनेकीसी पीडा होना,मुखका कसैला होना एवम् विरस होना । मुख, ताल, और कण्ठका सूखना, तृषा, छातीमें दर्द, सूखी छौ, सूखी खांसी और छीक इनका होना, डकार न भाना, अनके रसयुक्त थूकना, अरुचि, अन्नका न पचना, चित्तमें विषाद रहना, जंभाई अधिक आना, शरीरका नमजाना,कंप होना, थकावट मालूम देना,भ्रम होना,वकना,निद्रा न आना, रोमाञ्च होना, दंतहर्ष होना, गर्मीकी इच्छा होना, वातनाशक, उष्ण, स्निग्ध आदि पदार्थोंसे रोगकी शान्ति होना, एवम् रूक्ष,शीत आदिकोंसे रोगका बढना यह सब लक्षण वातज्वरके होतह ॥ २५ ॥ पित्तकोपका कारण। उष्णाम्ललवणक्षारकटुकाजीर्णभोजनेभ्योऽतिसेवितेभ्यस्तथातितीक्ष्णातपानिसन्तापश्रमक्रोधविषमाहारेभ्यः पित्तंप्र. कोपमापद्यते ॥ २६॥ अब पित्तकोपके कारणोंको कहतेहैं । जैसे उष्ण, अम्ल, लवण, क्षार, चरपरे पदार्थोंके सेवनसे एवम् अजीर्णकर्ता भोजनके अधिक सेवनसे तथा अतितीक्ष्ण, रूप, आग्न और संतापके सेवनसे, पारश्रम करनेसे तथा विषम भोजन करनेसे इन सब कारणोंसे पित्तका प्रकोप होताहै ॥ २६ ॥ . ... प्रकुपितपित्तका कर्म। तद्यथाप्रकुपितमामाशयादेवोष्माणमुपसंसृज्यायमाहारपरि
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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