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________________ सूत्रस्थान-अ० २७. (३४३) सुगन्धिस्त्वग्निवर्जितः । कचुरःकफवातनःश्वासहिकार्शसां हितः ॥ १४८॥ अम्लवेत-तितिडीकके समान गुणवाला तथा मलको भेदन करनेवाला होताहै विजौरेकी केशर-शूल, अरुचि, विबंध, मंदाग्नि, मदात्यय, हिचकी, श्वास,खांसी, वमन, मलरोग तथा वात और कफसे उत्पन्न भये संपूर्णरोग इन सबमें हितकारक. है तथा शीतल और हल्की होतीहै । बिजौरेकी केशरके सिवाय छिलका आदि अन्य २ अंगोंमें अन्य गुण होतेहैं। छिला हुआ कचूरका फल-शुचिकारक, अग्निदीपक हृदयको प्रिय, सुगंधित, कफ, वातको नष्ट करनेवाला, हिचकी और बवासीरमें हितकारक होताहै ॥ १४६ ॥ १४७ ॥ १४८॥ नारंगीके गुण । मधुरंकिञ्चिदम्लञ्चहृद्यंभक्तप्ररोचनम् । दुर्जरंवातशमनंनागरङ्गफलंगुरु ॥ १४९ ॥ नारंगीका फल-दुर्जर, वातनाशक, भारी, मीठा,किंचित् अम्ल, हृदयको प्रिय तथा भोजनमें रुचिका करनेवाला है ॥ १४९ ॥ वादामादिके गुण । वातामाभिषुकाोटमकूलकनिकोचकाः ।। १५० ॥ गुरूष्णस्निग्धमधुराःसोरुमाणाबलप्रदाः । वातनाव्हणावृष्याकफपित्ताभिवर्द्धनाः ॥ १५१ ॥ वादाम, पिस्ता, अखरोट, मकूलक (किसीके मतमें यह भी अखरोटकी जाति है) निकोचकर चिलगोजा), उरुमाणफल इन सब फलोंकी मज्जा गुरु, उष्ण, स्निग्ध,मधुर. बलवर्द्धक,वातनाशक, पुष्टिकारक, वीर्यवर्द्धक एवम् कफ और पित्तको. बढानेवाली होतीहै ॥ १५० ॥ १५१ ॥ - पियालके गुण । पियालमेषांसशविद्यादौष्णविनागुणैः । श्लेष्मलंमधुरंशीतश्लेष्मातकफलंगुरु ॥ १५२ ॥ चिरौंजी गुणोंमें उपरोक्त फलोंकी मज्जाके समान गुणवाली है परन्तु पित्तकों उत्पन्न नहीं करती। लसोढा-कफकारक, मधुर, शीतल और भारी होताहै (खुष्क खांसीको निकालनेवाला है) ॥ १५२ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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