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________________ (२७१) चरकसंहिता-भा० टी०। मनुष्योंका यथोचित संयोग होनेसे सुख संपत्ति उत्पन्न होतीहै उन्हीके अनुचित व्यवहारसे अनेक प्रकारके रोगोंकी उत्पत्ति होतीहै ॥ २४ ॥२५ ॥ २६ ॥ २७॥ वामकका प्रश्न और आत्रेयका उत्तर । अथात्रेयस्यभगवतोवचनमनुनिशम्यपुनरेववामकःकाशिपतिरुवाचभगवन्तमात्रेयम् । भगवन्सम्पानिमित्तजस्यपुरुषस्यविपन्निमित्तजानांचरोगाणांकिमाभिवृद्धिकारणामीत । तमुवाच भगवानात्रेयोहिताहारोपयोगःएकएवपुरुषस्यभिवृद्धिकरो भवतिअहिताहारोपयोगःपुनाधीनांनिमित्तमिति ॥२८॥ इस प्रकार भगवान आत्रेयके कथनको सुनकर काशीपति वामकनामा ऋषि कहने लगे कि हे भगवन् ! शुभ भावोंके संयोगसे पुरुषकी उत्पत्ति और अशुभ भावांके संयोगसे व्याधिकी उत्पत्ति होनेका कारण क्या है ? यह सुनकर आत्रेय भगवान् कहनेलगे कि हितकर आहार विहारके सेवनसे पुरुषोंके सुखकी वृद्धि होती हैं इसी प्रकार अहितकारक आहारादिकके सेवनसे रोग उत्पन्न होतेहैं ॥ २८ ॥ अग्निवेशका प्रश्न । एवंवादिनभगवन्तमात्रेयमग्निवेश उवाच । कथमिहभगवन्! हिताहितानामाहारजातानांलक्षणमनपवादमभिजानीयाहितसमाख्यातानांचैवाहारजातानामहितसमाख्यातानाञ्चमात्राकालक्रियाभूमिदेहदोपपुरुपावस्थान्तरेषविपरीतकारित्वमुपलभामहे इति ॥ २९॥ इस प्रकार कथन करतेहुए आत्रेय भगवान्के प्रति अग्निवेश बोले कि हे भगवन्! हितकर और अहितकर आहारादिकांका स्पष्ट लक्षम किस प्रकार जानना चाहिये। दित करनेवाले आहारों और अहित करनेवाले आहारांकी मात्रा, काल,क्रिया, देश, द, दोष थोर पुरुपकी अवस्था यार पुरुषके लिये विपरीतकारी पक्षार्थीको हम किस प्रकार जान सकतेहै मो आप कृपा कर कहिये ॥ २९ ॥ आत्रेयका उत्तर । तमुवाचभगवानात्रेयः । यदाहारजातमाग्नवेश । समांश्चैवशरीरधातनप्रकृतास्थापयतिविपमांश्चसमीकरोतिइत्येतद्धितविसिविपरीतमहितमितिएतद्धिताहितलक्षणमनपवादभवति॥३०
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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