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________________ ६ १४४) चरकसंहिता-भा० टी०। विचारणा स्नेह किस विधिसे किनको देना । हे अमितज्ञान : स्नेहनके प्रकारोंको जाननेकी मेरी इच्छा है इसलिये कृपया स्नेहशास्त्रका विधान कीजिये ॥२-६॥ पुनर्वसुका उत्तर। अथतत्संशयच्छेत्ताप्रत्युवाचपुनर्वसुः। स्नेहानांद्विविधाचासौ योनिःस्थावरजङ्गमा॥ ७ ॥ तिलापियालाभिषुकौविभीतकश्चिनाभयरण्डमधूकसर्पपाः।कुसुम्भविल्वारुकमूलकातसीनिकांचकाक्षोडकरञ्जशिकाः॥॥ स्नेहाश्रयाःस्थावरसंज्ञितास्तथास्युर्जाङ्गमामत्स्यमगाःसपक्षिणोतेषांदधिक्षीरघृतामिपं वसास्नेहपुमज्जाचतथोपदिश्यते ॥ १ ॥ अग्निवेशके इस प्रश्नको सुनकर इस संशयके दूर करनेवाले पुनर्वसुजी कहनेलगे। हे सौम्प ! स्नेहांकी योनि (कारण) स्थावर और जंगम इन दो भेदासे दो प्रका. रकी है ॥ ७ ॥ उनमें तिल, चिरौंजी, पहाडोंपर होनेवाले फलोंकी मींग, बहेडे, चित्रा ( जमालगोटा या पहाडी एरंड), हरड, महुवा, सर्षप, कसंभेके वीज. ' विल्व, मिलावा, मूलीके वीज, अलसी, निकोटक, अखरोट, कंजेके बीज, सुहां . जनक वीज, यह सव स्थावर स्नेहोंके योनि है अर्थात् इनमेसे जो तैलादि निकलते हैं वह स्थावर स्नेह हैं । ऐसे ही गौ, भैंस, बकरी आदि तथा मछली,मृग, पशु. पक्षियोंको जंगम स्नहकी योनि कहते हैं इनके दही, दूध, घी,जथामछली आदिके मांस, चरबी, और मजा जंगमस्नेह कहे जाते हैं ।। ८॥९॥ रोग विशेषाम तेलांकी उत्कृष्टता। सर्वपांतैलजातानांतिलतैलंविशिष्यते । वलार्थेस्नेहनेचारन्यमरण्डन्तुविरेचने ॥ १० ॥ सर्पिस्तैलंवसामज्जासर्वलेहोत्तमामताः । एभ्यश्चैवोत्तमंसर्पिःसंस्कारस्यानुवर्तनात् ॥११॥ चिकनाईके लिये मर्दन आदिसे वल बढानेको सब प्रकारके तेलॉम तिलोंका तेल उत्तम होताह । और जुलाव कराने के लिये एरंडतेल उत्तम होताह ॥ १० ॥ मन प्रमाके स्नहाम-घी, तेल, चरखी, मज्जा यह उत्तम होते हैं । इन सबमें घी यान उत्तम है क्योंकि इसको यदि औषधियांसे सिद्ध कियाजाय तो यह उन आषधियोंके गुणका भी करताह और अपना गुण भी करताह ॥ ११ ॥ घृतकेगुण । घृतंपित्तानिलहररसमोजसांहितम् । निर्वापणंमृदकरस्वरवर्णप्रसादनम् ॥ १२ ॥ .
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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