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________________ प्रयोग करें 0 आओ जीना सीन... प्रयोग करें 9 आओ जीना सीन... शशांकासन yf स्मृति विकास * स्थिति : दोनों घुटने मोड़कर पंजों के बल बैठे। (वज्रासन की तरह) विधिः (1) दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर ले जाएं। (2) श्वास छोड़ते हुए नीचे झुकें। (3) श्वास भरते हुए हाथों को पुनः ऊपर ले जाएँ। (4) श्वास छोड़ते हुए मूल स्थिति में हाथों को घुटनों पर लगाएं। लाभः (1) स्मृति बढ़ती है। (2) क्रोध शांत होता है। (3) रक्तचाप सामान्य होता है। (4) मानसिक शांति प्राप्त होती है। हँसते रहना जीवन में सुख तभी मिलेगा जब सब तुम्हे प्यार करेंगे, तुम्हे देखकर खुश होंगे। यह तो तब होगा जब तुम हँसते हुए सबसे बातें करोगे। एक मुस्कान हजारों को अपना बना सकती है। हँसने से तनाव नहीं रहता और काम में भी सहजता आती है। विज्ञान ने भी यह सिद्ध किया है कि, 'हँसना' काफी बीमारियों की दवा है। हँसने से शरीर स्वस्थ रहता है, मन भी मस्त रहता है। भाव सकारात्मक होते हैं, आत्मा प्रशस्त होती है। ओशो का मानना है - 'जिसको हँसना आता है उसके आँसू भी हँसते हैं और जिसे हँसना नहीं आता उसकी हँसी भी रोती है। मुस्कराता बचा सबको प्रिय होता है, वैसे ही तुम मुस्कराते रहो । देखो, सबके प्रिय बनोगे। हँसना शरीर के अंतर्गत अवयवों पर परिणाम करता है। आसन शरीर को स्वस्थ बनाते हैं, हँसना हृदय, फेफड़े सभी अवयवों को मसाज करते हैं। हँसते-हँसते राम सहज दूर होते हैं। इसलिए, गीत में भी सही फरमाया है - हँसता हुआ जो जाएगा, मुकद्दर का सिकंदर वो कहलाएगा। किसी भी प्राणी के पास मानव जैसा श्रेष्ठ और विकसित मस्तिष्क नहीं है। हम देखते हैं कि मस्तिष्क तो सबके पास है, पर हर-एक की यादशक्ति अलगअलग होती है। कुछ बच्चे जल्दी ग्रहण करते हैं, कुछ बचे जल्दी भूल जाते हैं। इसलिए एक ही क्लास में एक ही टीचर होने के बावजूद भी एक बच्चा प्रथम आता है और एक बच्चा फेल हो जाता है। यह प्रश्न मस्तिष्क का नहीं है। उसमें तो शक्ति का भंडार है। स्मृति बुद्धि की एक प्रवृत्ति है। इसका बहुत ही महत्त्व है। स्मृति घटने के कारण * रीढ़ की हड्डी को झुकाकर बैठने की आदत, निद्रा और आलस्य का बाहुल्य, चित्त स्वाध्याय में न लगना अधिक टी.वी. देखना और कम्प्यूटर पर ज्यादा देर बैठना मानसिक चंचलता एकाग्रचित्त से न सुनना स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय प्रयोग एवं नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। निम्न प्रयोग यादशक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यंत उपयोगी है। - ॐ ध्वनि । (नौ बार) - ॐ ध्वनि का मूल स्वरूप है। इसे आध्य बीज मंत्र कहते है। - ध्यान की मुद्रा में बैठें। आँखें कोमलता से बंद करें। लंबी श्वास भरकर ॐ की ध्वनि करें। ॐ में तीन शब्द होते हैं - 'अ' 'उ' और 'म' । 'अ' और 'उ' का उच्चारण 5 सेकेन्ड और 'म' का उच्चारण पांच सेकेन्ड । एक बार ॐ की ध्वनि में 10 सेकेन्ड लगनी चाहिए। लाभ : (1) यादशक्ति बढ़ती है, (2) मन की एकाग्रता बढ़ती है, (3) मस्तिष्क, हृदय एवं फुफ्फुस की मालिश होती है, (4) शरीर और मन तनावमुक्त होता है, (5) चेहरा प्रसन्न रहता है, (6) श्वास लंबी और गहरी होती है, (7) रक्त शुद्ध होता है।
SR No.009544
Book TitleAao Jeena Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2006
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size6 MB
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