SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तो ते ऊर्ध्व लोकमांथी आ लोकमां आवेल छे. तथा मातृरेखा स्पष्ट होय छेदाएल न होय ते मनुष्य लोकमांथी आवेल समजवु. तथा आयुरेखा जेनी स्पष्ट होय छेदायेल न होय तो माणास पाताल लोकमांथी आवेल समजवु. - जेना जमणा हाथमा पितृरेखा स्पष्ट होय तथा छेदायेल भेदायेल न होय ते माणास मनुष्य लोकी मरीने. उर्ध्व लोकमां जाय, तथा मातृरेखा स्पष्ट होय छेदायेल मेदायेल न होय ते माणास मनुष्यथी मरीने मनुष्य थाय आयुरेखा स्पष्ट होय छेदायेल भेदायेल न होय ते माणास अत्रेथी मरीने पाताल लोकमां जाय. रेखाथी सम्पूर्ण चराचर भूत भावष्य वर्तमाननु ज्ञान थाय छे के जेवी रोते दीवाथी घरनु अंधारु नाश थाय अने प्रकाश थाय तेवी रीते रेखाज्ञान समजवु. रेखाथी लाभालाभ सुखदुःख जीवित मरण. जय विजय नु ज्ञान थाय स्त्री हो या पुरुष हो बन्ने ने रेखानु फल बरोबर थाय छे. . आयु पुत्र, कुलवंश धान्य, देह, धन संपत्ती, पूर्वभवना पुन्यभी रेखा ओ बतावे छे. : सूक्ष्म स्निग्ध (चिकणी) गंभीर, लाल, पीली, वांकी न होय, छंदवाली न होय आवी रेखा ओ मनुष्यने शुभ समजवी. जेना हाथमां गंभीर तथा लाल रेखा होय ते त्यागी थाय. घरबार छोडीने दीक्षा ले. . .. जेना हाथमां पीली रेखा होय ते माणास सुखने भोगवणार थाय, . सूक्ष्म रेखा होय तो लक्ष्मीनी प्राप्ती थाय, अने मूलवाली रेखा होय तो सौभाग्य आपे. . जैना हाथमा रेखा ओ तूटेली होय पल्लव-फांटा निकलेली. होय लुखी होय विषम स्थानमां गयेली होय वर्णरहित होय, काली, लांबी, नानी होय तो श्रेष्ठ नही: जेना हाथमा पल्लववाली एक रेखाओमाथी फांटा नीकलेला होय तेवी "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy