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________________ ( १३ ) छिद्र होय तो जन्मथी तीजा अंशमां भोजनवखते दुःख थाय. तर्जनी तथा मध्यमांगुलि छिद्ररहित होय, तो पेली उमरमां सुख मळे, मध्यमां तथा अनामिकानी मध्य भागमां छिद्ररहित होय तो तेने युवावस्थामा सुख मले, अनामिका तथा कनिष्टा आंगलिना मध्यभागमां छिद्ररहित होय तो वृद्ध अवस्थामां सुख मले तथा आंगलिना वधा पर्व छिद्र वगरना होय तो सदा सुखी रहे. अनामिका आंगलि छेली रेखाथी जो कनिष्टा आंगलि लांबी होय तो ते माणसने धनवृद्धि थाय, तथा मामाविगेरेनो परिवार घणोज होय. मध्यमां आंगलिना मध्यम पर्व - वेढाथी जो तर्जनी आगळी लांबी होयतो तेना पिताना पक्षमां घणोज मोटो परिवार हाये अने तेनी पासे धन पण होय अने जो आप्रमाणे न होयतो धनरहित समजवु दुःखी होय, जेना हाथनो अंगुठो नानो तथा आगलिओ प्रमाणथी नानी धान्य तथा वायुष्यथी अब्प समजवो. होय तो ते माणस जेनी मध्ययां आंगलि प्रमाणथी मोटी होयतो तेनी स्त्री मरण पा अने अनामिका अंगलि मोठी होयतो ते विद्वान् तथा धनवान थाय तथा आंगलि पर्वना वेदाना स्थानभी बधारे होय तथा आंगलि लाल होयतो ते धणाज वर्ष जीवे. जे माणसना हाथनी अथवा पगनी प्रमाणथी वधारे आंगलिओ लांबी होय अथवा परस्पर मलेली होय ते माणस हमेषा स्त्रीथी रहित होय, अने अत्यन्त नानी आंगलिओ होय ते दरिद्र होय. अनामिकाना छेला वेढाथी कनिष्टा आंगलि मोटी होय तो ते माणस सोवर्ष जीवे अथवा नेवु वर्ष जीवे अथवा हंसी सीतरे अने पर्वथी बराबर होय तो साठ वर्ष सुधी जीवे. एकपण जवनो मध्यभाग कनिष्ठा आंगलि अनामिका पर्वथी नानी होय तो पचास वर्ष जीवे. बे जव होय तो चालीस वर्ष जीवं तेनाथी त्रण जवनो आंगठिना छेला जेटलो मध्यभाग नानो मध्यभाग ओछो होय "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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