SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४ विश्वलोचनकोश: गुह्यको गोपिते यक्षे गृह्यकश्छे कनिघ्नयोः । गैरिकं धातुभेदे स्याद्धातुमात्रे च काञ्चने ॥ ७३ ॥ गोरङ्कः पक्षिजातौ च नग्नके श्रुतिपाठके । गोलको मणिके जाराद्विधवातनये गुडे ॥ ७४ ॥ ग्रन्थिस्तु करीरेस्यादैवज्ञे गुग्गुलुमे । माद्रेयेप्यद्वयोर्ग्रन्थिपर्णीपिप्पलिमूलयोः ॥ ७५ ॥ ग्राहको घातिविहगे ग्रहीतरि तु वाच्यवत् । चटकः कलर्बिकः स्यात्तत्पुत्रीयोषितोः स्त्रियाम् ॥ ७६ ॥ चतुष्की मशकयौ यष्टिकावेश्मभेदयोः । चुलुकः : प्रसृतौ च स्याच्चुलुका भाजनान्तरे || ७७ || चपकोsस्त्री पानपात्रे मधुमद्यप्रभेदयोः । चारकः पालकेऽश्वादेः स्यात्सञ्चारकबन्धयोः ॥ ७८ ॥ गुह्यक- रक्षा कियाहुवा, योनि, ( पुं० ) यक्ष - देव- | ग्राहक - पक्षी मारनेवाला पक्षी, (पुं०) सर्प आदिकों का पकड़नेवाला (त्रि०) गृह्यक- पालाहुवा पक्षीआदि, अधीन चटक - चिडापक्षी, (पुं० ) पुरुष आदि (पुं० ) गैरिक- धातुभेद ( गेरू ), धातुमात्र, सुवर्ण, ( न० ) ॥ ७३ ॥ गोरङ्क - पक्षिविशेष, नंगापुरुष, वंदीजनका पढना, (पुं० ) लक-गोला, जारसे उत्पन्नहुवा विधवाका पुत्र, गुड, (पुं० ) ॥ ७४ ॥ १-क - कैरवृक्ष, ज्योतिषी, गूगलकूपिक माद्रीका पुत्र, (पुं० )ग्रन्थि - ( स्त्री / गांडर दूब ), पीपलामूल, कूलः– बँव ॥ ७५ ॥ 1 [ कान्तवर्गे चटिका चिडाकी पुत्री और स्त्री ( स्त्री० ) ॥ ७६ ॥ चतुष्की-मसैरी - पलंगपरताननेकी, छडी, एकप्रकारका पत्थर (स्त्री० ) चुलुक - प्रसृति ( पस्सो) (पुं० ) चुलुका - पात्रविशेष (स्त्री० ) ॥ ७७ ॥ चषक - जलआदिपीने का पात्र ( प्याला), शहद, मदिराभेद, ( पुं० ) चारक - घोडा आदिका चरानेवाला, राजाका गुप्तदूत, संचारकरनेवाला, बन्ध, (पुं० ) ॥ ७८ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy