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________________ तृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः । विवाह सूत्रे विषयाभोगकाले समुत्सवे । कौशिको गुग्गुलूलूकनकुलेष्वहितुण्डिके ॥ ६७ ॥ इन्द्रे च विश्वामित्रे च कोशज्ञे चाथ कौशिकी । चण्डिकायां नदीभेदे ऋमुको भद्रमुस्तके ॥ ६८ ॥ गुवाकपट्टिकालोध्रकूर्पास ब्रह्मदारुषु । खट्टकः सौनिकेऽपि स्यान्माहिषक्षीरफेनके ॥ ६९ ॥ खनकश्चित्ततत्त्वज्ञे सन्धिचौरेऽवदारके । मूषके खुल्लकस्तु स्यात्खल्पे नीचे कनीयसि ॥ ७० ॥ खोलकः पाकवल्मीकपूगकोशे शिरस्त्रके । गणिका यूथिकावेश्यात र्कारीकरिणीष्वपि ॥ ७१ ॥ अग्निमन्थेऽपि गणिका दैवज्ञे गणकः पुमान् । गण्डकः खड्गिनि ख्यातः सङ्ख्याविद्याप्रभेदयोः ॥ ७२ ॥ विवाहसूत्र, विषयोंके भोगनेका काल, उत्सव, ( न० ) कौशिक-गूगलवृक्ष, उखूपक्षी, नौला, सर्पपकड़नेवाला, ॥ ६७ ॥ इन्द्र, विश्वामित्रऋषि, कोश ( खजाना ) का जाननेवाला ( पुं० ) कौशिकी - चण्डिका ( देवी ), नदीभेद, (स्त्री० ) मुक-भद्रमोथा-वृक्ष (पुं० ) ॥ ६८ ॥ सुपारी वृक्ष, लाललोध, साधारणलोध,स्त्रियोंकी कञ्चुकी,तूलवृक्ष, (पुं०) ट्टिक - कसाई, भैंस का दूधके झाग, ( पुं० ) ॥ ६९ ॥ १३ खनक- चित्तके तत्त्वको जाननेवाला, सन्धि (सुरंग ) लगानेवाला चोर, खोदनेका औजार, मँसा, (पुं० ) खुल्लक-खल्प, नीच, बहुत छोटा, ( पुं० ) ॥ ७० ॥ खोलक - पाक, शिरस्त्र, (पुं० ) बाँबी, सुपारीफल, गणिका - जूही झाड, वेश्या, खांसन टाहाकल वृक्ष, हथिनी ॥ ७१. अरणीवृक्ष, (स्त्री) बीज, गणक - ज्योतिषी (पुं० ), (पुं) :-गैंडा, सङ्ख्याविशेऽई जोधाविशेष, (पुं० ) ॥ ७० ) ॥ ८५ ॥ गण्डक " Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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