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________________ १३२ विश्वलोचनकोश: स्त्रियां शस्त्रेप्यथ क्षत्ता सारथिद्वाःस्थधातृषु । भुजिष्यजे नियुक्ते च शूद्राच्च क्षत्रियासुते ॥ ७४ ॥ क्षमायां तु मता क्षान्तिः क्षान्तिः स्यान्नियमेऽपि च । क्षितिः पृथिव्यां वासे च स्थानमात्रे क्षये क्षितिः ॥ ७५ ॥ ततृतीयम् । अगस्तिर्वङ्गसेनद्रौ स्यादगस्त्येऽप्यथाङ्कतिः । अग्निब्रह्माऽग्निहोत्रेषु स्थिरे दामोदरेऽच्युतः ॥ ७६ ॥ अजितोऽनिर्जिते विष्णावदितिर्देवसूभुवोः । अनृतं स्याद् मृषाकृप्योरनन्तो विष्णुशेषयोः ॥ ७७ ॥ अनन्तं गगनेऽनन्तं भवेदनवधौ त्रिषु । अनन्ता पृथिवीदूर्वापार्वतीलाङ्गलीप्वपि ॥ ७८ ॥ सारिवायां गुडूच्यां च समुद्रान्ताविशल्ययोः । अमृतं मोक्षपीयूषसलिले हृद्यवस्तुनि ॥ ७९ ॥ शस्त्र ( स्त्रि० ) [ तान्तवर्गे क्षत्ता-सारथि, द्वारपाल, ब्रह्मा, दास- ॥ ७६ ॥ पुत्र, दियाहुवा, शूद्रसे क्षत्रियाका | अजित नहीं जीताहुवा, विष्णु, पुत्र, (पुं० ) ॥ ७४ ॥ क्षान्ति- क्षमा, नियम, (स्त्री० ) क्षिति - पृथ्वी, वास (निवास), स्थानमात्र, क्षय ( नाश ) ( स्त्री० ) ॥ ७५ ॥ अच्युत - स्थिर, दामोदर (भगवान् ) ( पुं० ) अदिति-देवताओंकी माता, पृथ्वी, ( स्त्री० ) अनृत-असत्य, कृषि, ( न० ) अनंत-विष्णु, शेष नाग, (पुं० ) ॥७७॥ आकाश ( न० ) निस्सीम (त्रि०) अनन्ता- पृथिवी, दूर्वा, सिंहलीपीपल, कलिहारी ॥ ७८ ॥ सरिवन, गिलोय, जवाँसा, अजमोद, ( स्त्री० ) ब्रह्मा, अग्निहोत्र, अमृत - मोक्ष, पीयूष (अमृत), जल, मनोहर वस्तु ॥ ७९ ॥ ततृतीय । अगस्ति-वक ( हथिया ) वृक्ष, अग स्त्यमुनि (पुं० ) अङ्कति- अनि, ( पुं० ) "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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