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________________ (२६०) मेघमहोदये यादेति दिने प्रातः पीतान्धिर्मुनिपुङ्गवः । दुर्भिक्षं रौरवं घोरं राष्ट्रभक्षं तदादिशेत् ॥२॥ रवौ च पूर्वफाल्गुन्यां प्रासे चेदष्टमेऽहनि । अगस्तेरुदयो लोके न शुभाय कचिन्मते ॥३॥ कृत्तिकायां रवी जाते सप्तमे वोष्टमेऽहनि । ऋषेरस्तंगतिः ओष्ठा दिवसे यदि जायते ॥४॥ रात्रावुदयनं श्रेष्ठं नेष्टश्वास्तङ्गमो मुनेः । दिवसेऽस्तङ्गमः श्रेष्ठो नेष्टश्चाभ्युदयस्तदा ॥५॥ लोकेऽपिसिंहा हुँती भडुली, दिन इकवीसे जोय । अगस्ति महाऋषि उगीया, घन बहु वरसे लोय॥६॥ हीरसूरयोऽप्याहुः दुभिक्खं वीस दिणे इगवीसे होइ मज्झिमं समयं । यदि अगस्त्यका उदय प्रातःकाल में हो तो दुर्भिक्ष, घोर उपद्रव और राज्य भंग हो ॥२॥ सूर्य जन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र पर आवे तब उस से आठवें दिन अगस्त्यका उदय हो तो लोकमें शुभ नहीं होता ऐसा किसीका मत है ॥३॥ सूर्य जब कृत्तिका नक्षत्र पर आवे तब उससे सातवें या आठवें दिन अगस्त्यका अस्त यदि दिन में हो तो श्रेष्ठ होता है ॥४॥ अगस्त्यका उदय रात्रि में श्रेष्ठ माना जाता है और अस्त अशुभ माना है। दिन में अस्त होना श्रेष्ठ और उदय होना श्रेष्ठ नहीं ॥५॥ लोक भाषामें बोलते है कि- सिंह राशि पर सूर्य आवे तबसे इकाईस दिनों में अगस्त्यका उदय होता है तब भूमि पर वर्षा बहुत होती है li६॥ श्रीहिरविजयसूरि ने भी कहा है कि- सिंहराशि पर सूर्य आवे तबसे वीस दिन पर भगस्त्य का उदय हो तो दुर्भिक्ष हो, इक्कईस दिन पर उदय हो तो मध्यम समय हो और बाईस दिन पर उदय हो तो सुकाल हो ॥७॥ जिस महीने में बुबसे "Aho Shrutgyanam
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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