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________________ मनुष्य इतने नीम्न स्तर पर जा चुका है - सूअर जो विष्टा खाकर जीता है, मनुष्य ने उसे भी नहीं छोडा । सुअर को पाव बाँधकर अग्नि में लटकाया जाता है और चर्बी निकाली जाती है। यहाँ नहीं बाजार में नमकीन फरसाण को इस प्रकार के तेल में तलकर नमक-मिर्च डालकर स्वादिष्ट बनाकर बेच जाता है और लोग उसे खरीद कर खाते है। लाखो सर्पो को मारते है स्वार्थ के लिए। १५) अंडे खाने में पंचेनिद्रय जीव की हत्या : आज सरकार कर माफ की दलीले देकर देश के कोने २ में पोल्ट्री-फार्म बनाती रही है। इस कारण से चारो- और हजारो - लाखों मुर्गिया पाली जा रही है। इन मुर्गियों को जीवन भर जान के ऊपर खेल कर जीना पड़ता है। उन्हें मछलियों का पावडर आहार के रुपमें दिया जाता है। साथ ही इन मुर्गियों को एक विशेष प्रकार के कृत्रिम उष्णता से निर्मित तापमान में रखा जाता है। और फिर वे बार-बार गर्भवती होती है, प्रसुति के समय अंडे में मौजूद जीव की मृत्यू हो जाती है कृत्रिम तापमान के कारण | __अब विचारिये अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी क्या अंडे वृक्ष या झाड पर लगते है ? कदापि नहीं! ये तो सभ्य सुशिक्षित समाज की कमजोरी है। ___ अंडे का उत्पादन १0 गुना बढ़ गया है और उसके उपयोग भी खूब बढ़ा दिये है। आजकल शैम्प, दवाई. आईस्क्रिम और ऐसे कई खाद्य पदार्थो में अंडे का उपयोग किया जा रहा है। कई प्रकार की ब्रेड में भी अंडे का उपयोग किया जाता है। अंडे खाना मतलब मुर्गी के बच्चे की हत्या के समान है। या कहें कि अंडा शाकाहारी तो नहीं है उसमें से भी पंचेन्द्रिय जीव निकलता है - ना कोई पत्थर। अंडा खाना मतलब पंचेन्द्रिय जीव की हत्या का पाप है, दूसरी तरफ अंडे में कई वैषिले पदार्थ होते है जो स्वास्थ्य को खूब नुकसान पहुंचाते है। कई रोगों का कारण अंडा और मांसाहारहै। इसपंचेन्द्रियजीव हिंसासेजरुरबचना चाहिये। १६) गर्भपात गर्भपात करवाने की सलाह देने वाली जैन कुल मे जन्मी महिलाए जब व्रत उपवास, पूजा-पाठ सामायिक, तीर्थ-यात्रा करती है तब खूब आश्चर्य होता है। गर्भपात जीवित मनुष्य की हत्या है। आफ्रिका में मानव मांस भी बिकता है। सुना है युगान्डा के इदी अमीन जीवित मनुष्य का रक्त पीते और मांस भी खाते थे। वर्तमान काल में अश्लील सिनेमा, टी.व्ही. आदि पर देखने का परिणाम है समाज में अनाचार का बढना। युवकयुवतियों की कामवासना भी खूब बढ गई है। कुंवारी कन्या गर्भपात करवा रही है कई-कई बार। आज के युवाओं को भ्रष्ट करने के कई साधन बाजार में उपलब्ध है। कालेज की लड़कियाँ कोल गर्ल का व्यवसाय करती है, हाय कैसा कलयुग।जहाँ लडकियाँ शरीर बेचकर पेट भरती है। अच्छे घर की स्त्री भी आजकल खाली समय में काम करती है। कलयुग की बिडम्बना यह है कि जो कानून रक्षक या आज वो भक्षक बन गया है। कानून ने भूण हत्या को स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसके परिणाम स्वरुप समाज में व्यभिचार, दुराचार बढ़ गया है। गर्भपात के विषय में खुले तौर पर, जाहिर किया जाता है, कि मात्र १५-२० मिनिट में किया जा सकता है और खर्च भी मात्र १00 रुपये आदि । गर्भहत्या एकदम आसान बन गई है और उसमें योगदान वैज्ञानिक तेकनीक का है, जिसके कारण देश के कोने र में मानव हत्या केकत्लखाने चल रहे है, इनमें सुशिक्षित कसाई आधुनिक हत्यारों से ये काम कर रहे है। हाय ! बेचारा गर्भस्थ शिशु का नसीब जोकि गर्भ में उल्टा लटक कर सो रहा है उसे चाकू छुरी से काटकर निकाल देते है। सच कहा जाता है डॉकटर याने डोक (गर्दन) कटर । भूण हत्या का आधुनिकिकरण विज्ञान का महा अभिशाप है | कौन कहता है गर्भ में जीव नहीं होता ? जीव तो पहेले ही क्षण से उसमें होता है, जीवन होते १-२-३ महिने का विकास भी किस प्रकार हो सकता है नहीं तो फिर मृत बालक ही रहता गर्भ में, ये सब बचाव पक्ष की दलीले है। अंधा कानून भूण हत्या को अपराध नहीं मानता पर माँ के गर्भ से नौ मास पूर्ण कर निकले बालक हत्या को बाल हत्या करार देता है। देखो कितना आश्चर्य बालक तो वही है, जीव भी वही है पर मान्यता में अंतर । आज भूण हत्या परम सीमा पर है। (25) हे प्रभु! मुझे नरक नहीं जाना है !!!
SR No.009502
Book TitleMuze Narak Nahi Jana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprabhvijay
PublisherVimalprabhvijayji
Publication Year
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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