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________________ इस धरती पर पाप का बोझ बढ़ता जा रहा है। मनुष्य का पाप का घड़ा भर गया है और अब सर्वनाश, प्रलय से चना है, तो भ्रूण हत्या को बंद करना ही है नहीं तो माँ भी राक्षसी कही जायेगी। लाखों माताओं ने अभी संसार देखा नहीं पर स्वतः निर्दोष बालक की हत्या का पाप करा है। इस प्रकार के कार्य में सहभागी आज का डॉक्टर वर्ग भी है जो मात्र कुछ हजार रुपयों के लिये ये घोर अपराध करते है। भारत के सभी धर्म ने भ्रूण हत्या को महापाप कहा है पर फिर भी कानून इसे स्वीकृति दे रहा है। धरती पर अभी तक जिसने जन्म नहीं लिया ऐसे बालक ने क्या अपराध किया कि उसे दुनिया में आने ही नहीं दिया गया । भारतीय नारी ! आर्य की भूमि पर डाकू, हत्यारे आदि ने गर्भस्थ शिशु की हत्या से द्रवित हो संत बनकर सिद बने । पूर्व भव में की भ्रूण हत्या के कारण परिवार में बालक नहीं जन्म लेते या पशु, पक्षी, मनुष्य के बच्चो का जो वियोग करवाते हैं उन्हे पुत्र/पुत्री नही होते हैं या फिर जन्म के तुरंत बाद मृत्यु हो जाती है । गर्भस्थ शिशु की हत्या करने वाली स्त्रीयों का मुँह देखना भी महापाप है, अमंगल है। मानिशी सूत्र में गौतम स्वामी भगवान से पूछते है सूर्यश्री के बारे में तब प्रभु उत्तर देते है कि छठी नरक में गई है। हे प्रभु किस कर्म के उदय से बेचारी वहाँ पहुँच गयी ? गर्भपात विचार मात्र से सूर्य श्री छठी नरक में गई, भ्रूण हत्या से नरक का रास्ता निश्चित हो जाता है । दवाखाने या कसाईखाने ? भ्रूण हत्या खूब बढ़ गई है जिसके कारण संसार में चारों और अशांति का वातावरण है । गर्भ हत्या जैसे पाप के बारे मे तुम कभी विचार भी न करना । हे प्रभु! मुझे नरक नहीं जाना है !!! (26) कैची जैसा हथियार अंदर डालकर जीवित शिशु को काट-पीट कर लहूलुहान कर बाहर निकाला जाता है, इस दौरान मासूम जीव को असह्य वेदना झेलनी पड़ती है। फिर चम्मच जैसे साधन द्वारा उन टुकडो को बाहर निकाला जाता है । अंधेरे में तीर मारने के समान ये ओपरेशन होता है । जीवित बालक के पैने हथियारों से छलनी किया जाता है। कई दयालु उन्हे गोद भी ले लेते है । अहिंसा का दर्शन भारत वर्ष में खूब समझा है। यहाँ जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ है और उसमें पंचेन्द्रिय से एकेंद्रिय जीव को मारने की हिंसा करार दिया है। गौ हत्या बंद कराने के लिये आचार्य, संत आदि उपवास । अनशन आदि करते है तो गांधी के इस देश में भ्रूण हत्या को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। गुजरात राज्य में संपूर्ण गौवंश हत्या (वध) प्रतिबंध सुप्रिम कोर्ट ने दिया । नरेन्द्र मोदी का साथ लेकर विनियोग परिवारने सबसे महान कार्य में वर्षो के बाद सफलता मिली। महिलाये जब परिवार कल्याण केंन्द्र पर जाती हैं तो उन्शे गर्भपात के लिये तैयार किया जाता है। उन्हे कहा जाता है इस बालक की अभी जरुरत नहीं है, तुम्हारा रुप, अचूक रखना हो तो गर्भपात करा लो। तुम्हे नौकरी करनी है, पति को कंपनी देनी है, विदेश यात्रा आदि करनी है या मौज-मजे करने है तो ये बालक उसमें बाधक बन रहा है इसलिये गर्भपात करा लो । कानून ने भी गर्भपात को स्वीकृति दे दी है। गर्भपात में कोई तकलीफ नहीं होती, नौकरी कर रहे हो तो चालू तनख्वाह पर छुट्टी भी मिलती है । हजारों वर्षो के धार्मिक संस्कार लिये. भारतीय हुए नारी इस अपराध करने में हिचकती है। तब उसे समझाया जाता है अभी शुरुआत है - उसमें जीव नहीं आया, यह तो, मांस का लोंदा है इसे निकाल देने में कोई अपराध नहीं, पाप नहीं । आठ दिन में तो फिर तुम तैयार हो जाओगे और किसी को खबर भी नहीं लगेगी। इन सब बातों में स्त्री आ है पर उस मूर्ख को यह पता नहीं कि तिसरे महिने में तो बालक पेट में हलचल शुरु कर देता है और जीव तो उसमें गर्भाधान के वक्त ही आ जाता है।
SR No.009502
Book TitleMuze Narak Nahi Jana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprabhvijay
PublisherVimalprabhvijayji
Publication Year
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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