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________________ नियमसार जीवा पोग्गलकाया धम्माधम्मा य काल आयासं। तच्चत्था इदि भणिदा णाणागुणपज्जएहिं संजुत्ता ।।९।। जीवा: पुद्गलकाया धर्माधर्मी च काल आकाशम् । तत्त्वार्था इति भणिता: नानागुणपर्यायैः संयुक्ताः ।।९।। अत्र षण्णां द्रव्याणां पृथक्पृथक् नामधेयमुक्तम् । स्पर्शनरसनघ्राणचक्षुःश्रोत्रमनो जो जिनवचन ललित में ललित हैं, शुद्ध हैं. निर्वाण के कारण के कारण हैं. सभी भव्यजनों के कानो को अमृत हैं, भवरूपी अरण्य (भयंकर जंगल) के उग्र दावानल को शमन करने के लिए जल हैं और जो जैन योगियों से सदा वंद्य हैं ह्र ऐसे जिनभगवान के वचनों की मैं प्रतिदिन वंदना करता हूँ। इसप्रकार हम देखते हैं कि शास्त्रों का स्वरूप स्पष्ट करते हुए टीकाकार ने न केवल रत्नकरण्डश्रावकाचार में समागत तत्संबंधित छन्द को उद्धृत किया, बल्कि एक छन्द स्वयं लिखकर भी उनके प्रति अपनी आस्था को व्यक्त कर दिया है।।१५।।। ___ विगत गाथाओं में जिन (सच्चे देव) और जिनवचनों (सच्चे शास्त्रों) का स्वरूप स्पष्ट कर अब जिनदेव की दिव्यध्वनि में समागत तत्त्वार्थों की चर्चा आरंभ करते हैं। गाथा का पद्यानुवाद इसप्रकार है ह्न (हरिगीत ) विविध गुणपर्याय से संयुक्त धर्माधर्म नभ। अर जीव पुद्गल काल को ही यहाँ तत्त्वारथ कहा ।।९।। अनेक गुण-पर्यायों से संयुक्त जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, काल और आकाश ये तत्त्वार्थ कहे गये हैं। ध्यान रहे, यहाँ छह द्रव्यों को ही तत्त्वार्थ कहा गया है। जबकि महाशास्त्र तत्त्वार्थसूत्र में जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ह ये सात तत्त्व या तत्त्वार्थ कहे हैं।' कहीं-कहीं उक्त सात तत्त्वों में पुण्य और पाप को मिलाकर नौ तत्त्व या तत्त्वार्थ कहे गये हैं। टीकाकार पद्मप्रभमलधारिदेव तो इस गाथा की टीका करते हुए पहली पंक्ति में इन्हें छह द्रव्य ही कहते हैं। इस गाथा का भाव टीकाकार मुनिराज पद्मप्रभमलधारिदेव इसप्रकार स्पष्ट करते हैं ह्न “इस गाथा में छह द्रव्यों के नाम पृथक्-पृथक् कहे गये हैं। स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण; मन, वचन, काय; आयु और श्वासोच्छवास नामक दश प्राणों से (संसार १. आचार्य उमास्वामी : तत्त्वार्थसूत्र (मोक्षशास्त्र), अध्याय १, सूत्र ४
SR No.009464
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2012
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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