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________________ गुणस्थानों की अपेक्षा जीवों का क्षेत्र, स्पर्शन और काल का प्रमाण (पु. 4 प्रस्ता . पृ. 29) 1. मिथ्यादृष्टि एकसमय गुणस्थान स्पर्शन काल नानाजीवों की अपेक्षा एकजीव की अपेक्षा वर्तमानकालिक | अतीत अनागतकालिक जघन्यकाल / उत्कृष्टकाल सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल (सा.सां.मि.) अन्तर्मुहूर्त देशोनअर्घपुद्गलपरिवर्तन 2. सासादनसम्यग्दृष्टि| लोक का असंख्यातवां | लोक का असंख्यातवां देशोन और 22 राजु जघन्य उत्कृष्ट एक समय छह आवली एकसमय पल्यो, असं. भाग 3. सम्यग्मिथ्यादृष्टि अन्तमुहूतं " अन्तमुहूतं अन्तमुहूर्त 4. असंयतसम्यग्दृष्टि सर्वकाल | साधिक तेतीस सागरोपम 5. संयतासंयत देशोन पूर्वकोटी वर्ष 6. प्रमत्तसंयत लोक का असंख्यातवां भाग अन्तर्मुहूर्त 7. अप्रमत्तसंयत 8. अपूर्वकरण जघन्य उत्कृष्ट 9. अनिवृत्तिकरण उप. एकसमय अन्तर्मुहूर्त एकसमय क्षपक. अन्तमुहूंत अन्तर्मुहूर्त 10. सूक्ष्मसाम्पराय उप.. एकसमय " एकसमय 11. उपशान्तमोह क्षपक अन्तमुहूर्त अन्तर्मुहूर्त 12. क्षीणमोह उप. एकसमय एकसमय क्षपक अन्तमुहूर्त " अन्तर्मुहूर्त 13. सयोगिकेवली एकसमय एकसमय अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त लोक का असंख्यातवा भाग | लोक का असंख्यातवा भाग लोक का असंख्यातवा भाग " का असंख्यात बहु" | " का असंख्यात बहु" | " का असंख्यात बहु" सर्वकाल देशोन पूर्वकोटी वर्ष सर्वलोक - सर्वलोक सर्वलोक 14. अयोगिकेवली लोक का असंख्यातवां भाग | लोक का असंख्यातवां भाग लोक का असंख्यातवां भाग अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त | अन्तर्मुहूर्त
SR No.009451
Book TitleGunsthan Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Shastri, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2014
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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