SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 691
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ को भी मारने का तैयार हो जाता है । एक कॉलेज में एक लड़का और लड़की पढ़ते थे, जिनका कुछ प्रेम संबंध हो गया। एक दिन लड़की ने लड़के से कहा- क्या तुम मुझे सच्चा प्रेम करते हो? लड़के ने कहा- तुम्हें मैं सच्चा प्रेम करता हूँ, तुम झूठ बोल रहे हो, नहीं, वह बोला । लड़की कहने लगी अगर तुम हमसे सच्चा प्रेम करते हो तो तुम अपनी माँ का दिल हमें लाकर दे दो। लड़का घबरा गया बोला- तुम और कुछ कार्य करने के लिए कह दो, मैं तुम्हें आसमान के तारे उतारने के लिए तैयार हूँ । नहीं, मुझे तो तुम्हारी माँ का दिल ( कलेजा ) ही चाहिए। मैं जानती थी कि तुम्हारा प्रेम झूठा है, चले जाओ यहाँ से, आज के बाद मेरे पास मत आना । लड़का घर को गया और रास्ते में बाजार से एक रामपुरी चाकू खरीद लिया। रात में सोत समय माँ के सीने पर चढ़ गया और चाकू घोंप दिया। माँ चिल्ला भी न पाई की माँ का कलेजा निकाल लिया और उसको लेकर प्रेम प्यारी के पास चला जा रहा था । अंधेरी रात थी, ठोकर लगी और वह गिर पड़ा, कलेजा हाथों से छूट गया और पत्थर पर जा गिरा, तब उसमें से आवाज आई, बेटा तुझे चोट तो नहीं आई। माँ तो माँ होती है, उसकी अंतरआत्मा उस समय भी पुकार उठी कि हमारे लाल को कहीं चोट तो नहीं आई । पुत्र कुपुत्र तो हो सकता है लेकिन कभी माता कुमाता नहीं हो सकती । लड़का उस कलेजे को उठाकर अपनी प्रेम प्यारी के पास पहुँचता है । देख मेरा प्रेम सच्चा है, देख मैं कलेजे को ले आया हूँ । लड़की उस कलेज को देखकर घबरा जाती है कहती है दुष्ट तूने माँ को मार दिया । अरे! जब तू माँ का सगा न हुआ तो मेरा क्या होगा। उसने तुझे नौ माह गर्भ में रखा और पाल पोस कर बड़ा किया है, तो मेरा क्या होगा, हट जा मेरी नजरों के सामने से, मैं ऐसे 676 —
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy