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________________ व्यक्ति से प्रेम संबंध नहीं बना सकती हूँ । काम में जब व्यक्ति अंधा हो जाता है, तो उसे कुछ भी नहीं दिखता है और जन्म देने वाले माता-पिता की जान भी ले लेता है । अंधा व्यक्ति तो मात्र आँखों से अंधा है, वह अंतर मन से प्रभु का भजन करता रहता है, लेकिन कामी व्यक्ति के पास आँखें होने के बाद भी प्रभु के दर्शन नहीं कर सकता है। उसे गुरुओं की बात अच्छी नहीं लगती, जिस व्यक्ति के मन में विषय वासना ग्रसित होती है उसको कितना ही उपदेश क्यों न दिया जाए, उसे अच्छा नहीं लगता, साक्षात् भगवान के सामने भी पहुँच जाए तो भी अच्छा नहीं लगता है । मन्दिर जाते समय हमें अपनी बाह्य वेशभूषा सादा रखना चाहिये । आज देखते हैं, महिलायें नई दुल्हन बनकर मन्दिर जाती हैं, जो दूसरों के भाव बिगाड़ने में निमित्त बनती हैं । "अन्य स्थाने कृतं पापं धर्म स्थाने विनश्यति । धर्म स्थाने कृतं पापं, वज्र लेपो भविष्यति । । " आचार्य कहते हैं कि अन्य स्थान पर अर्थात् घर, दुकान में जो पाप कमाते हैं, उस पाप को हम धर्मस्थान में, मंदिर आदि जो पूज्य स्थान हैं, उन स्थानों पर जाकर उन पापों को नष्ट कर देते हैं, परंतु अगर हम धर्म स्थान ही पाप करने लग जाएँ, तो आचार्य कहते हैं कि फिर वह आपका पापकर्म वज्र के समान अर्थात् वज्र को कोई तोड़ नहीं सकता, इसी प्रकार वह कर्म अब किसी भी स्थान पर क्षय को प्राप्त नहीं होगा । उस पाप कर्म का फल तो हमें भोगना ही पड़ेगा, ऐसा पाप का बंध कर लेते हैं, इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि आप मंदिर जा रहे है तो आपकी वेशभूषा, चाल-चलन से 677
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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