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________________ कर चले जायंगे | आप य मत सोचना कि जिसके साथ तुम्हारी सात भांवर पड़ी हैं, वह तुम्हारे साथ जायेगी, तुम्हारे साथ जाने वाली नहीं है | एक-न-एक दिन तो उससे तुम्हें बिछुड़ना ही है। जब तक उसका आयुकर्म है, तब तक वो तुम्हारे साथ है, और आयु कर्म पूर्ण होने के बाद वो तुम्हारा साथ छोड़ जायगी, वो तुम्हारे साथ जाने वाली नहीं है। जहाँ संयोग है, वहाँ नियम से वियोग होता है, साथ किसी का नहीं है, इस संसार में | ____ आपके ममत्व के परिणाम जब तक नहीं छूटेंगे, तब तक आप संसार स नहीं छूट सकते हो। ममत्व ही दुःख को देने वाला होता है। जिन परपदार्थों से आपका ममत्व हाता है, वो ही पदार्थ आपको दुःख दते हैं। पदार्थ दुःख नहीं दते हैं, आप सोचते हैं, पदार्थ आपको दुःख देते हैं। नहीं पदार्थ आपको दुःख नहीं देता है, दुःख देता है, पदार्थ के प्रति आपका ममत्व | कड़कड़ाके की सर्दी में जहाँ एक ओर मुनिराज धर्म ध्यान करते हैं, उसी सर्दी में आप आर्त और रौद्र परिणाम करते हो | सर्दी आपको सुख-दुःख देने वाली नहीं है, गर्मी आपको सुख-दुःख देने वाली नहीं है, दुःख देने वाला है, आपका ममत्व परिणाम | आपके लिये नीरस भोजन मिला, आपकी आत्मा भड़क जाती है, क्रोध आपका जागृत हो जाता है और मुनि महाराज उसी नीरस भाजन को ग्रहण कर आत्मा का अनुभव करते हैं, और सातवें, छठवें गुणस्थान में झूलते रहते हैं, वहाँ पर आत्मा का अनुभव कर रहे हैं, वो नीरस भाजन दुःख का कारण नहीं है | जो तुम्हारे लिये रस लेने की आदत थी, जो ममत्व का परिणाम था, वो आपको दुःख दे रहा है, और वो रस नहीं मिलने के कारण से आपको दुःख का अनुभव हुआ है। (584
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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