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________________ को कोई जला नहीं सकता। मिथला जल रही है किन्तु मरी आत्मा नहीं जल रही है। ___ महर्षि वेदव्यास ने कहा-जिस व्यक्ति की आसक्ति टूट गई है, जो व्यक्ति अनासक्त भाव से रह रहा है, उसे राजमहल भी नहीं बांध सकता। राजमहल के सुख-साधन उसे बांध नहीं सकते । जिसे सत्य की अनुभूति हा गई, जिसकी आसक्ति टूट गई वह राजमहल में रहता हुआ भी भरतजी की तरह घर में रहते हुये भी वैरागी रह सकता है। कहा भी है, भरत जी घर में ही वैरागी। जिसने सत्य की अनुभूति कर ली है उसकी ऐसी अवस्था हो जाती है। सत्यानुभूति करने वाला जीव संसार में तोते की तरह रहता है। जिसकी आसक्ति टूट गई, वह तोते की तरह रह सकता है, जिसकी आसक्ति नहीं टूटी, वह कबूतर की तरह रहगा | ताते का स्वामी तोते का रोज नहलाता, धुलाता है, खाने को दाना, पिस्ता, छुहारे भी खिलाता है किन्तु ताता अपने को इसमें नहीं फँसाता | जैसे ही उस खिड़की खुली मिली कि फुर्र से उड़ जाता है। लोग तोते को पालते हैं। उसके लिये बढ़िया-बढ़िया साने तक का पिंजरा बनवाते हैं। उसका मालिक मौसम के अनुकूल गरम, ठंडे पानी से उसे नहलाता है, अच्छा अच्छा खाना खिलाता है, सब तरह के सुख-साधन सुलभ कराता है, फिर भी वह उस पिंजरे में खुश नहीं रहता। जरा सी खिड़की खुली मिली तो फौरन फुर्र करके आकाश में उड़ जायेगा। इसी तरह जिसे सत्यानुभूति हो जाती है, वह जीव संसार में ऐसे ही रहता है। वह सदैव यही सोचता रहता है कि कब इस संसार से छुट्टी मिले और मैं मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होऊं। जिसे सत्यानुभूति नहीं हुई वह कबूतर की तरह अपने उस गन्दे स्थान पर ही पड़ा रहता है। (293)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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