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________________ कराह रहा है, तो सुखी हाने क लिए कराह रहा है | इस दुनिया में जितनी भी भाग-दौड़ है, जितनी भी प्रतिस्पर्धा है, जितनी भी आगे बढ़न की होड़ है, वह सब सुख के लिये है। सुख की खातिर ही व्यक्ति पढ़ता है, स्कूल जाता है, महनत करता है, मजदूरी करता है, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियाँ लगाता है। वो सोचता है खूब धन कमा लूँ तो सुखी हो जाऊँगा। मेरे पास बहुत-सी जमीन-जायदाद रुपया-पैसा हो जाये, तो मैं सुखी हो जाऊँगा। पर ध्यान रखना, निराकुलता के बिना सच्चा सुख नहीं हो सकता। ___ ग्रीस में एक बड़ा दार्शनिक हुआ है 'सोलन ।' उसन 'सुखी जीवन का रहस्य' नामक पुस्तक में लिखा है कि एक जिज्ञासु 'सोलन' के पास पहुँचा और उसने कहा कि गुरुदेव! मुझे सुखी बनने का मन्त्र बता दीजिय, मैं सुखी कैसे बनूँ? पहले तो सोलन ने टाला, पर जब जिज्ञासु ने विशेष आग्रह किया, ता सोलन कुछ देर के लिये गंभीर हा गये, फिर बाले-ठीक है, तुम सुखी होना चाहते हा तो एक काम करा-जाओ, दुनिया में किसी भी सुखी आदमी का कोट माँगकर ले आओ। उसके बाद मैं तुम्हें सुखी होने का राज बता दूंगा। उसने कहा - ये तो बड़ी सरल बात है, मैं अभी जाता हूँ | एथेंस में बहुत बड़े-बड़े धनवान व्यक्ति हैं, उनमें से किसी के पास भी जाऊँगा और कहूँगा कि भाई, मुझ थोड़ी देर के लिये अपना कोट दे दो। कोट देने से कोई इंकार थाड़े ही करेगा? इसी भावना और विश्वास से भरकर वह एथेंस नगर क सबसे बड़े धनवान व्यक्ति के दरवाजे पर पहुँचा और दरबान की अनुमति प्राप्त करक भीतर गया, वहाँ उसने निवेदन किया-मुझे सोलन ने आपके पास भेजा है। आपके पास सब कुछ है | आप बहुत सुखी हैं | (252)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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