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________________ निरयापलिका freeसपनं ग विमाननि गास्नया, नाभिानुध्यमानाभिः, युरोनि ५: ! जमा 'माननि-अनिमन मान-मातरः म एन मात्तरका अन्न: पुर न्दमन्नानागोयमनेटकममाम्तेन 'पगिक्षमा' परिम्सर्वनः frareशारिता. नया पती अन्न पुगत निर्गमातिम्वनिःसरति निर्गस्य परमिमी गाने पारिभरा उपम्यानमाला-उपगनमन्डपः यत्रमन पर पार्मिकपानमन:शादियानोत्तमः, नत्रन नरिमन्नेव स्थाने पनि, सागप्यधार्मिकयानभनरममीपमागत्य धार्मिक-धर्माय निपूर्ण माना गम्भिागनि, दरा उक्तयानप्रवरमारुय निजके' निकिनिननग परिवागा दाम्यादयः, ते: मंपग्टिना परिवष्टिना, मनगमगन नम्पानगर्गा मध्यमागेन निर्गनि, निर्गत्य गव न नी उपागनानिगमायानि, उपागन्य 'एनाईए' हादिकान पारन-देन नायागानिगान पदयति, या धार्मिक यानमवरं म्यापयति, म्यापिका मानिदाद गानमनगागार्मिकग्यान पन्यवरोहनिम्भवम्नादननरति, mar atil नामिनिदामीभिर्युता याक्न मनग्यटन्दनाभिगमरम्मर प्रेगस्मिन्नेव पूर्णभदोघाने भगवान मानीर- frige - मायको अनुमानसे मममना । fin-अभिनपिनको अनुमानमे जानना । मी शामिग मा अन्तःपुररक्षक पुष्पवृन्दसे नशा अनेक में TATEगार दासमनाम घिरी अनापुरम पार निकटकार मन मा- सिम पर धार्मिक या am आई और ही। माः माने मप परिवार, माघ ना नगरीक थीमगरे मा पा यही पड़ेगी। और शायरी Trafframti Arrन को धापित frपा और
SR No.009351
Book TitleNirayavalikasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages437
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size22 MB
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