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________________ १४० आवश्यकमूत्रस्य पुष्पादिभिरेव पूजनमिति शक्यते वक्तु तथा सति महच्छदस्यापि तथात्वापत्तेः । न चास्तु का नो हानिरिति वाच्यम्, ए सति 'महाबाहुर्महाशयः' इत्यादा वपि 'पुष्पादिपूजितवाहुमान्' 'पुष्पादिपूजिताऽऽशयवान्' इत्यसङ्गतार्था पत्तेः, पूजार्थ+महधातु निप्पन्नमहच्छब्दस्य तत्र तत्रापि सत्त्वात् न च विनिगमनाविरहात्पुष्पादिपूजनमध्यर्थः स्यादित्युङ्कनीय, वीतरागाणा सावत्र पूजाऽनौचित्यरूपाया विनिगमनाया अनुपदमुक्तत्वात् निश्चैव भवदाग्रहे 'महामोह पकुब्बई ' ( दशा० स्क) 'महावा व पायते ' ( दशबै०) 'महामिण पासिताण पडकल्पनामात्र है, क्यों कि ऐसा माननेसे जो जो शब्द मह धातु से बनते है उन सब जगहों में पूर्वपक्षी के कथनानुसार 'पुष्पादि से पूजन' रूप अर्ध मान लेने पर 'महाबाहु, महाशय' आदि शब्दों के भी 'पुष्पादि से पूजित भुजावाले' 'पुष्पादि से पूजित आशयवाले' आदि अनिष्ट अर्थ होने लगेंगे। यदि कहें कि - 'किसी अर्थ विशेष का निश्चय न रहने के कारण 'मह' धातु' के 'विशाल' 'उदार' आदि अर्थ की तरह' पुष्पादिपूजनरूप' भी अर्थ ले सकते हैं तो इसका उत्तर पहले ही दे चुके हैं कि - ' वीतरागों के सावध पूजन का न होना ही पुष्पादिपूजनरूप अर्थके न होने मे नियामक है, और ऊपर लिखी हुई संस्कृत टीका में दिखलाये हुए महामोर आदि स्थलों में तथा अन्यत्र भी जहा कही 'मह' धातु का प्रयोग કેમકે એ પ્રમાણે માનવાથી જે શબ્દ માઁ ધાતુથી બને છે તે સર્વ સ્થળે પૂર્વ પક્ષીના કહેવા પ્રમાણે ‘પુષ્પાદિથી પૂજન’ રૂપ અર્થ માની લેવાથી ‘મહામારું, મહાશય' આદિ શબ્દોના પણ ‘ પુષ્પાદિ પૂજિત ભુજાવાળા, ’ ‘પુષ્પાદિથી પૂજિત આશયવાળા' વગેરે અનિષ્ટ અ થવા મડશે જે કહેશે કે કાઈ અથ વિશેષને निश्चय नहि रहेवाना और 'मह' धातुनो 'विशाल, उधार' माहि अर्थ प्रभा 'पुष्पाहि પૂજનરૂપ પણ અર્થ લઈ શકાય છે તે તેના ઉત્તર પ્રથમજ આપી ચૂકયા છીએ કે વીતરાગ તે સાવધ પૂજન ન થવુજ પુષ્પાદિપૂજનરૂપ અ નહિ हो! शम्वा भाटे नियामक छे भने उपर सभेसी सस्कृत टीममा गत वेस 'महामोह' આદિ સ્થળેમા તથા ખીજા સ્થળે પણ જે ઠેકાણે મ” ધાતુને પ્રયાગ આવે છે १ - एक्तरपक्षपातिनी युक्तिर्विनिगमना तस्या विरोऽभावस्तस्मात् । ,
SR No.009344
Book TitleAavashyak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages575
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size15 MB
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