SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 757
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४६ प्रापनास्ते यदि कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरं किं संख्येयवर्पायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारमशरीरम् ? असंख्ये यवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरम् गौतम ! संख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकालुयाहारकशरीरं नो असंख्येयवर्षायुककर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरस्, यदि संख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरस्, किं पर्याप्तकसंख्येयवर्पायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारगर्भज मनुष्य का आहारक शरीर होता है (कि खेज्जवासाउघ कम्मभूमग गम्भवक्कंतियमणूस आहारणसरी) क्ण संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्मज मनुष्य का आहारकशरीर होता है ? (असंखेज्जवासाउयकम्मभूमग मन्भवतिय अणूल आहारगसरीरे ?) या असंख्याल वर्ष की आयु वाले, फर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहार कशरीर होता है ? (गोयमा! संखिज्जवासा उथ कम्मभूमग गमवक्कंतिथ अणूसाहारगसरीरे) हे गौतम ! संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है (नो असंखेज्जवासउय कम्मभूमगगम्भवतिय मल आहारनसरीरे) असंख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्यज मनुष्य का आहारकशरीर नहीं होता (जह संखेज्जवासाउय कम्लभूमग गम वक्रतियमणूस आहारगसरीरे) यदि संख्यात . वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारक शरीर होता है (किं पज्जत्तगसंखेजवासाउय कम्मभूमग गम्भवलिय मणूस आहारगसरीरे ? अपज्वत्तग संखेजवासाउय कम्लभूमगगलतियमणूसआहारगसरीरे ?) तो क्या पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है, या अपर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज (जइ कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे) यह भ भूमिना गम भनु. ध्यन। माहा२४२२ जाय छ (किं संखेजवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहार• गसरीरे) शुसज्यात नी मायुवा॥ ४मभूमिना राम मनुष्यना साहा२४शरीर हाय छ १ (सखेजवासाउय कम्मभूमगगम्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे ?) मगर मसभ्यात વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે ?) (गोयमा । संखिज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आह रगसरीरे) गौतम! સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમ્નિા ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે (નો असंखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूम आहारगसरीरे) असण्यात वर्षनी मायुવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર નથી હોતાં (जइ संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे) या सध्यात वर्षनी मायुवा। भभूभिन। म मनुष्यना माहा२शरी२ डाय छ (किं पज्जत्तर्ग संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे ? अपज्जत्तग संखेज्जवासाज्य
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy