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________________ ६ प्रज्ञापनाने पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरम् १ गौतम ! पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक वैक्रियशरीरम्, नो अपर्याप्त संख्येय वर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपश्चन्द्रिय तिर्यग्योनिक क्रिपशरीरम्, यदि संख्येयवर्पायुष्कतिर्यग्योनिक गर्भव्युत्क्रान्तिक पञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम् किं जलचरसंख्येयवर्पायुष्कग मैव्युत्क्रान्तिपञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकवैक्रियशरीरम्, स्थलचर संख्येयवर्षायुष्कगर्भ व्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवै क्रि यशरीरम्, (किं पज्जत्तगसंखिज्जवासाज्यमन्त्रतिय पंचिदिद्यतिरिकख जोणिय वेउन्वियसरीरे, अपजत्तगसंखिज्जवासाज्यगन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडविवयसरीरे ?) क्या पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रियों तियेचों का वैपिशरीर होता है अथवा अपर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैकिवशरीर होता है ? (गोषमा ! पज्जत्तगसंखेज्ज वासज्य गन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणियवेचियसरीरे) हे गौतम! पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है (नो अपजत्तगसंखेजवा साउथगन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेव्वयसरी रे) अपर्याप्त संख्यातवर्षायुष्क गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यच का वैक्रियशरीर नहीं होता है (जइ संखेजबासाउयगन्भवक्कंतिय पंचिदिय तिरिक्खजोणिय वेउब्वियसरीरे ) यदि संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है (किं जलयर संखेज्जवासाज्य गमनतिय पंचिदियतिरिक्ख. जोणिय वेव्वयसरीरे, थलचर संखेज्जवासाज्य गम्भवक्कतिय पंचिदियतिरि क्खजोणिय वेव्वियसरीरे, खहयरमंखेजवासाज्य गग्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणियवेउच्चियसरीरे ?) क्या जलचर संख्यातवर्षायुष्क गर्भज पंचेपज्जत्तग संखिज्जवासाउय गव्भवक्कंतिय पंचिदिद्यतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे, अपज्जत्तग संखिज्जवासाज्य गव्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्ख जोणिय वेउव्विचसरीरे १) शुं पर्याप्त४ સખ્યાત વની આયુવાળા ગજ પચેન્દ્રિય તિય 'ચોના વૈક્રિયશૌર હાય છે અથવા અપર્યાપ્તક સ ́ખ્યાત વર્ષોંની આયુવાળા ગજપાંચેન્દ્રિય તિય ચેાના વૈક્રિયશરીર હાય छे ? (गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउय गव्भवकंतिय पंचिदियतिरिक्ग्वजोणिय वेडव्वियसरीरे) डे गौतम ! पर्याप्त संख्यात वर्षानी आयुवामा गर्भन यथेन्द्रिय तिर्यथाना वैडियशरीर होय छे (नो अपज्जत्तग संखेज्जवासाज्य गन्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे) अपर्याप्त संख्यात वर्षायुष् य येन्द्रिय तिर्य योना वैडिशरीर नथी होतां. (जइ संखेन्जवासाउय गव्भवक्कंतिय पंचिंदिय तिरिक्खजोणियवेडव्वियसरीरे ) यहि संख्यात वर्षानी युवामा गर्भन यथेन्द्रिय तिर्ययाना वैडियशरीर होय छे (किं जलयर संखेज्जवासाउयगब्र्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे, थलग रसं खेज्ज वा साउथगब्र्भवक्कँतिय पंर्चिदियतिरिक्खजोणिय वेडव्वियसरीरे, खहयरसंखेज्जवासाज्य गन्भवक्कतिय
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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