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________________ प्रमैयाधिनी टीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरमैदनिरूपणम् ६६६ यशरीरम् किं संख्येयवर्पायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिवैक्रियशरीरम् ? असंख्येयवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकवैक्रियशरीरम्, नो असंख्येयवांयुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवैक्रियशरीरम्, यदि संख्येपवर्षायुष्कगर्मव्यु: स्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्यौनिक क्रिरशरीरम् किं पर्याप्त कसंख्येयवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्यो निकक्रियशरीरम् अपर्याप्तकसंख्येयवर्पायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकहोता (गम्भवतियपंचिदियतिरिक्खजोजियदेउब्धियलरीर) गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का क्रियशरीर होता है (जइ गम्भवस्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरोरे) यदि गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचो का क्रियशरीर होता है (किं संखेजवासाउयगम्भवकतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउब्वियसरीरे) तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है ? अगर (असंखेज्जवासाउयगन्भवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउब्वियसरीरे ?) अथवा असंख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है ? (गोयमा! संखेजवालाउयगम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेचियलरीरे, लो असंखेजधासायगम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउब्वियसरीरे) हे गौतम ! संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का क्रियशरीर होता है, असंख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचो का वैक्रियशरीर नहीं होता (जइ मंखिजवासाउयगम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय देउव्वियसरीरे) यदि संख्यातवर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है याना यशरीर नथी तi (गम्भवकंतिय पंबिंदियतिरिक्खजोणिय वेउब्वियसरीरे) Hor પંચેન્દ્રિય તિર્યના કિય શરીર હોય છે. (जइ गम्भवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउब्धियसरीरे) या - पयन्द्रिय तिय याना २५शरी२ डाय छ (किं संखेज्जवासाउयगव्भवकंतिय पंचिदियतिरिक्खजो णिय वेउव्वियसरीरे) तो शु सभ्यात वषनी मायुपाणा म पन्द्रय तिय याना यशरी२ सय छ १ (असंखेज्जवासाउयगम्भवकतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउब्बियसरीरे ?) असभ्यात वषनी अायुवाणा । पयन्द्रिय तिय"यानयिशरीर डाय छ ? (गोयमा । संखेज्जवासाउय गम्भवकंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरीरे नो असंखेज्जवासाउयगम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरीरे) गीतम! સંખ્યાત વર્ષની આયવાળા ગર્ભજ પંચેન્દ્રિય તિર્યંચના વક્રિયશરીર હોય છે, અસંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા ગર્ભજ પંચેન્દ્રિય તિયના વેકિયશરીર નથી હોતાં. (जइ संखिज्जवासाउय गम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरीरे) यह સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા ગજ પંચેન્દ્રિય તિર્યચેના વક્રિયશરીર હોય છે (દ્ધિ प्र. ८४
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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