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________________ प्रबोधिनी टीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरभेदनिरूपणम् ૯૬૭ खेचर संख्येय वर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिपश्ञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकवैक्रियशरीरम् ? गौतम ! जलचरसंख्येय वर्षायुष्कर्मव्युत्क्रान्त्रिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरमपि स्थलचर संख्येय वर्षायुं - गर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनि कथं क्रियशरीरमपि, खेचरसंख्येयवर्षायुष्क गव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रि पतिर्यग्योनिक वैक्रिपशरीरमपि, यदि जलचर संख्ये यवर्षायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिक पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकवै क्रियशरीरम् किं पर्यातक जलचर संख्येय वर्पायुष्क गर्भव्युत्क्रान्तिकन्द्रिय तिर्यंचों का वैक्रियशरीर होता है, स्थलचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का वैक्रियशरीर होता है या खेचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रियतियैचों का वैक्रियशरीर होता है ? (गोयमा ! जलयर संखेजवासाज्य गन्धवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय यसरी वि) हे गौतम ! जलचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचन्द्रियतिर्यचों का भी वैकियशरीर होता है (थलयर संखेजवासाज्यगन्भवक्कुंतिधपंचिदियतिरिक्खजोणिय वेउच्चियसरीरे बि) स्थलचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचों का भी वैक्रियशरीर होता है (खहयर संखेज्जवासाउगग्भवतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणिय वेउब्वियसरीरे वि) खेचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पञ्चेन्द्रिय तिर्यचो का भी वैकियशरीर होता है । (जइ जलयर संखेज्जवासाज्य गन्भवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेउ - व्वियसरीरे) यदि जलचर संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का वैक्रियारीर होता है (किं पज्जन्तग जलयर संखेज्जवासाज्यगव्भवक्कं तिथ पंचिंदियतिरिक्खजोणिथ वेडव्वियसरी रे) शु ४सयर संख्यात वर्षायुष्ठ गर्लभ ययेन्द्रिय તિય‘ચોના વૈક્રિયશરીર ડાય છે, સ્થલચર સખ્યાત વર્ષાયુવાળા ગજ પચેન્દ્રિય તિય ચોના વૈક્રિયશરીર હાય છે અગર ખેચર સખ્યાત વર્ષની આયુવાળા ગજ પંચેન્દ્રિય તિય ચાનાં વૈક્રિયશરીર હાય છે. ( गोयमा ! जलयर संखेज्जवासाज्य भवतिय पंचिदियतिरिक्ख नोणियवे उच्चियसरीरे वि) हे गौतम | सयर संख्यातवर्षनी आयुष्यवाणा गर्लन यथेन्द्रिय तिर्ययोना या वैश्यिशरीर होय छे. (थलयरसंखेज्जवासाउयगन्भवक्कं तियपंचिदियतिरिक्खजोणियवेव्वियसरीरे वि) थसयर संख्यातवर्षनी आयुष्यवाणा गर्लभ यांचे द्रिय तिर्ययोना पशु वैठियशरीर होय छे. ( खहयरस खेज्जवासा उयगन्भवक्कं तियपंचिदियतिरिक्खजोणियवेउव्त्रियसरीरे वि) मेयर संख्यातवर्षनी आयुष्यवाणा गर्ल यथेन्द्रिय તિય ચોના પણ વૈક્રિયશરીર હાય છે. (जइ जलयरस' खेज्जवासाज्य गन्भवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणिय वेव्वयसरी रे) ચક્રિ જળચર સંખ્યાતવની આયુવાળા ગજ પચેન્દ્રિય તિય ચોના વૈકિન્શરીર હાય छे (किं पज्जत्तगजलयरस'खेज्जवासा उयगव्भ त्रक्कंतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेउब्धियः
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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