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________________ प्रशापनास्त्रे वन्नेसु साहिज्जइ ? गोयमा ! पंचसु वण्णेसु साहिज्जइ, तं जहाकण्हलेस्सा कालएणं वन्नेणं साहिज्जइ, नीललेस्सा नीलवण्णेणं साहिज्जइ, काउलेस्ला काललोहिएणं वण्णेणं साहिज्जइ, तेउलेस्सा लोहिएणं वण्णेणं साहिज्जइ, पम्हलेस्सा हालिदएणं वन्नेणं साहिजइ, सुकलेस्ता सुकिल्लएणं वन्नेणं साहिज्जइ ॥सू० १७॥ ___ छाया-कृष्णलेश्या खलु भदन्त ! वर्णेन कीदृशी प्रज्ञप्ता ? गौतम ! तद्यथा नाम जीमत इति वा अञ्जनमिति वा खज मिति वा कज्जलमिति वा गवलमिति वा गवळवलयकमिति वा जम्बूफलमिति वा आरिष्ठकपुष्पमिति वा परपुष्ट इति वा भ्रमर इति वा भ्रमरावलिरिति वा गजकलम इति वा कृष्णकेशर इति वा आकाशथिग्गलमिति वा कृष्णाशोक इति वा कृष्ण कणवीर इति वा कृष्णवन्धुजीव इति वा, भवेदेतद्पा ? गौतम ! नायमर्थः समर्थः, कृष्ण ___वर्णाधिकारवक्तव्यता शब्दार्थ (कण्हलेस्साणं भंते ! वन्नेणं केरिसिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वर्ण से कैसी कही है ? (गोयमा! से जहानामए) हे गौतम ! जैसे कोई (जीमूतेइ वा) मेघ (अंजणेइ वा) अथवा अंजन (खंजणेइ वा) अथवा । खंजन-औं धन (कज्जलेइ वा) अथवा काजल (गवलेइ वा) भैंस का सींग (गधः लवलएइ वा) अथवा गवलवलय (जंबूफलेइ वा) अथवा जामुन फल (अहारिह पुप्फेह वा) अथवा गीला अरीठा का फूल (परपुढेह वा) अथवा कोयल (भमरह चा) अथवा भ्रमर (भमरावलीइ वा) अथवा भ्रमरों की पंक्ति (गजकलभैइ वा) अथवा हाथी का बच्चा (किण्हकेसरेइ वा) अथवा काली केसर (आगासथिग्गलइ घा) आकाश का टुकडा (किण्हासोएइ वा) काला अशोक (कण्हकवीरएइ था। अथवा काला कनेर (कण्ह बंधुजीबएइ वा) अथवा काला बन्धुजीवक (भवएया વર્ણાધિકાર વક્તવ્યતા शहाथ-(कण्हलेस्साणं भंते ! वन्नेणं केरिसिया पण्णता ?) 8 लगवन् ! ३० पथावी ४ीछे ? (गोयमा ! से जहानामए) गीतम! म ७ (जीमूतइवा) " (अंजणेइवा) २५ मन (खंजणेइ वा) मा मन (कन्जलेइ वा) मथवा 0 (गवलेइ वा) पाउनु सिगड (गवलवलएइ) अथवा गवस क्सय (जंबुफलेइ वा) ४५ (अद्दारिदपुरफेइ वा) २५५ मीन ARBI दस (परपुढेइ वो) भय (भमरेइ वा) मया अभ२ (भमरावलीइ वा) अथवा अमरानी यात श्व।) २मथवा थानु मन्यु (कण्हकेसरेइ वा) अथवा आणु स२ (आगासाथ २५शने । (किण्हासोएइ वा) पु म (कण्हकणवीरएइ वा) या ४२५ (कण्ह बंधुजीवएइव) मा ४ .८०१४ (भवेएयारूवे) वा ३५वामा ७ ) अथवा થવા કોયલ ना यति (गयकलमे अणु स२ (आगासथिग्गलेइ वा) । वारएइ वा) मथा आना (मवएयारूवे) मे ३५वाणी डाय-१
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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