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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १७ सू० १७ लेश्यायाः वर्णनिरूपणम् ફરી पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहा नामए ससरुहिरएइ वा उभरुहिरेइ वा वराहरुहिरेइ वा संवरहिरेइ वा मणुस्सरहिरेइ वा इंदगोपेइ वा बालेंद गोपे वा बालदिवाय रेह वा संझारागेङ्ग वा गुंजद्धरागेइ वा जातिहिंगुलेइ वा पवालंकुरे वा लक्खारसेइ वा लोहितक्खमणीइ वा किमिरागकंबलेइ वा यताges वा चीणपिटुरालीड़ वा पारिजायकुसुमेड़ वा जासुमणकुसुमेइ वा किंसुयपुष्करासीइ वा रसुप्पलेइ वा रत्तासोगेइ वा रत्तणवीरएइ वा रतबंधु य जीवएइ वा भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, तेउलेस्सा णं एतोइतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वपणेणं पण्णत्ता, पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहा नामए पेइ वा चंपयछल्लीइ वा चंपयभेदेइ वा हालिदाइ वा हालिगुलियाइ वा हलिद्दाभेदेइ वा हरियालेइ वा हरियालगुलियाइ वा हरियालभेदेइ वा चिउरेइ वा चिउररागेइ वा सुवन्नसिप्पीड़ वा वरकणगणिहसेइ वा वरपुरिसबसणेइ वा अल्लइकुसुमेइ वा कणियारकुसुमेइ वा कुहंडयकुसुमेइ वा सुवण्णजुहियाइ वा सुहिरन्निया. कुसुमे वा कोरिंटमल्लदामेइ वा पीतासोगेइ वा पीतबंधुजीवrs वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्टे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया जान सणामयरिया चैव वपणे पण्णत्ता, सुक्कलेस्सा णं भंते! केरिसिया वणें पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहा नामए अंकेइ वा संखेइ वा चंदेइ वा कुंदेइ वा दगेइ वा दगरएइ वा दधीड़ वा दहिधणेइ वा खीरेइ वा खीरपूरएइ वा सुक्कच्छिवाडियाइ वा पेहुणमिंजियाइ वा धंतधोरुपप वा सारवलाहरई वा कुमुददलेइ वा पोंडरीय- दलेइ वा सालिपरासीइ वा कुडनपुष्करासीइ वा सिंदुवार मल्लदा मेइ सेयासोएइ वा सेयकणवीरेइ वा सेतबंधुजीवएइ वा भवेयारूवे ? गोश्मा ! णो इण्डे समट्ठे, सुक्कलेस्सा पणं एतो इट्ठतरिया चेव मणुण्णय• रिया चेत्र वण्णेणं पण्णत्ता, एयाओणं भंते ! छल्लेस्साओ कइसु
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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