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________________ २२३ प्रमेयवाधिनी रीका पद १७ सू० १७ लेश्यायाः वर्णनिरूपणम् लेश्या खल इतः अनिष्टतरिकाचैव अकान्ततरिकाचैव अप्रियतरिकाचैव अमनोज्ञतरिकाचैव अमनमतरिकाचैव वर्णेन प्रज्ञप्ता, नीललेश्या खलु भदन्त । कीदृशी वर्णेन प्रज्ञप्ता ! गौतम ! तद्यथा नाम भृङ्ग इति वा भृङ्गपत्रमिति वा चास इति वा चासपिच्छमिति वा शुकइति वा शुकपिच्छमिति वा श्यामा इति वा वनराजिरिति वा उच्चन्तक इति वा पारावतग्रीवा इति वा मयू ग्रीवा इति वा हलधरवसनमिति वा अतसीकुम्नुममिति वा अञ्जनकेसिका कुसममिति वा नीलोत्पलमिति वा नीलाशोक इति वा नीलकणवीर इति वा नीलबन्धुजीव इति वा, भवेदेरूवे) ऐसे रूप वाली होती है ? (गोयमाणो इणढे समढे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है (कण्हलेस्सा णं हत्तो अणिट्टयरिया चेव) कृष्णलेश्या इससे भी अनिष्टतर (अकंतयरिया चेव) अधिक अकान्त (अप्पियतरिया चेव) अधिक अप्रिय (अमणुन्न तरिया चेव) अधिक अम. नोज्ञ (अमणामतरिया चेव) अधिक अमनाम (वन्नेणं) वर्ण से (पन्नत्ता) कही गई है। (नीललेस्सा णं भंते ! केरिसया वण्णेणं पण्णत्ता ?) भगवन् ! नीललेश्या वर्ण से कैसी कही है ? (गोयमा ! से जहानामए भिंगए ईवा) हे गौतम ! जैसे कोई भृग (भिंगपत्तेइ वा) भृगपत्र (चासे इवा) अथवा चासपक्षी (चासपिच्छए इवा) अथवा चास की पीछी (सुएइ वा) अथवा शुक-तोता (सुयपिच्छएडवा) अथवा तोते की पीछी (सामाइ वा) श्यामाक-सांवां (वणराइ इवा) अथवा वनराजि (उच्चंतएइ वा) या दन्तराग (पारेवयगीवाइ वा) या कबूतर की ग्रीवा (मोरगीवाइ वा) अथवा मयूर की ग्रीवा (हलहरवसणेइ वा) अथवा बलदेव का वस्त्र (अयसि कुसुमेह वा) अथवा अलसी का फूल (अंजणकेसिया कुसुमेह वा) अथवा अंजनकेशीका पुष्प (नीलुप्पलेइ वा) अथवा नीलकमल (नीलासोएडवा) (गोयमा! णो इणद्रे समढे) गौतम ! से मथ समर्थ नथी (कण्हलेसाणं इनो अनियरिया चेव) वेश्या मनाथी ५] मानण्ठत२ (अकंतयरियाचेव) मधिर महत (अप्पियतरियो चेव) मधि४ मप्रिय (अमणुन्नतरिया चेव) मधिर समनोज्ञ (अमणामतरिया चेव) अधि: अमनाम (वन्नेणं) qथी (पण्णत्ता) ४९क्षी छ. (नीललेस्साणं भंते ! केरिसिण वण्णेणं पण्णत्ता ?) 3 भगवन् ! नासोश्या 40 शव डसी छ१ (गोयमा । से जहानामए भिंगेए इवा) गौतम | Pan मभरे। (भिंगपत्तेदवा) मुंगपत्र (चासेइ वा) मथवा यास पक्षी (चासपिच्छएइ वा) मथवा यासना पा (सुएइ वा) मय शु४-५८ (सुयपिच्छएइ वो) मथवा पापटना पीछi (सामाइ वा) सामी (वणराइइ वा) अथवा पनlar (उच्चंतए इवा) अथवा त। (पारेवयगीवाड वा) मथ। ४भूतरनी ४ (मोरगीवाइ वा) २५था भारनी 318 (हलहरवसणेइ वा) अथवा भजन पत्र (अयसिकुसुमेइ वा) अथ। मसीनु ३ (अंजणफेसियाकुसुमेह वा) मया मनशानुस (नीलुप्पलेइ वो) 424 नीसमत (नीलासोएइ वा) 444 नीस
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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