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________________ ८३० प्रज्ञापनासूत्रे वैक्रियशरीरकायप्रयोगिणोऽपि, वैक्रियमिश्रशरीरकायायोगिणोऽपि, द्वीन्द्रियाः खलु भदन्त ! किस् औदारिकशरीरकायप्रयोगिणो यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगिणः ? गौतम ! द्वीन्द्रिया: सर्वेऽपि तावद् भवेयुः सत्यमृपावचःप्रयोगिणोऽपि, औदारिकशरीरकायप्रयोगिणोऽपि, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणोऽपि, अथवा एकश्च कार्मणशरीरकायप्रयोगी अपि, अथवा एके च कार्मणशरीरकायप्रयोगियोऽपि एवं यावच्चतुरिन्द्रिया अपि, पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिका यथा नैरयिकाः नवरस्-औदारिकशरीरकायप्रयोगिणोऽपि, औदारिकरिश्वशरीरकायप्रयोगिओगी वि, वेउम्धिनीलासरीरकायप्पओगी वि) वायुकायिक वैक्रियशरीरकायप्रयोगी भी, वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगी भी हैं ___ (वेइंदिया णं भंते ! किं ओरालियसरीरकायप्पओगी जाव कम्मासरीरकायप्पओगी?) हे भगवन् ! बीन्द्रिय क्या औदारिकशरीरकायप्रयोगी हैं यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगी हैं ? (गोयमा ! वेइंदिया लव्वे वि ताव होज्जा)दीन्द्रिय सभी हैं (असच्चामोसवइपओगी वि) असत्यामृषावचनप्रयोगी भी (ओरालियसरीरकायप्पओगी वि) औदारिकशरीरकायप्रयोगी भी (ओरालियमीससरीरकाप्पओगी वि) औदारिकनिशरीरकायप्रयोगी भी (अहवेगे य कम्नासरीरकायप्पयोगी वि) अथवा कोई कार्मणशरीरकायप्रयोगी भी (अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य) अथवा अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी (एवं जाव) इस प्रकार यावत् (चरिदिया वि) चौइन्द्रिय भी। ___ (पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया) पंचेन्द्रिय तिर्यच नैरयिकों के समान (णवरं) विशेष (ओरालियसरीरकायपओगी वि) औदारिकशरीरकायवि, वेउब्वियमीसासरीरकायप्पओगी वि) पायुवयि 434 शरीया , यिभित्र શરીરકાયમયેગી પણ છે (वेइंदियाणं भंते ! किं ओरालियसरीरकायापओगी जाव कम्मासरीर कायरओगी ?) 8 ભગવદ્ ાં દ્વીન્દ્રિય શું ઔદ્યારિક શરીરકાય પ્રયોગી છે, યાહત કામણ શરીરકાય પ્રગી छ ? (गोयमा । वेइंदिया सव्वे वि तोव होज्जा) गौतम ! दीन्द्र५ मा छे (असच्चा मोसवइपओगी वि) असत्यभूषा क्यन प्रयोगी ५५ (ओरालियसरीरकायप्प मोगी वि) मोहा(२४ शरी२४।यप्रये.२ ५५५ (ओरालियमीससरीरकायप्पओगी वि) मोहरि मिश्र शरी२४.य प्रयोगा ! (अहवेगे य कम्मासरीरकायापोगी वि) अथवा मे भए शरी२४१यप्रयोगी यतुरिन्द्रिय पY (अहवेगे च कम्मासरीरकायप्पओगिणो य) अथमने आय२२४१यपयोगी (एवं जाव) मे रे यावत् (चउरिदिया वि) यतुरन्द्रय पY Mपा. (पंचंदियतिरिक्खजोणिश जहा नेरइया) ५२न्द्रिय ति ययानि नयिहीना समान (नवरं) विशेष (ओरालियसरीरकायापओगी वि) मोहा २४ शरी२४४५ प्रयोग या (अरोलियमीसा
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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