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________________ जोवाभिगमसूत्रे સ્કર समवइतच्यवनगत्यागतिद्वारपर्यन्तं सर्वमपि तदेव-सूक्ष्मपृथिवीकायिकवदेव ज्ञातव्यम् । कियत्पर्यन्तं सूक्ष्मपृथिवीकायिकप्रकरणं वक्तव्यं तत्राह-'जाव' इत्यादि, यावत् द्विगतिकाःयागतिकाः परीताः प्रत्येकशरीरिणोऽसख्याताः प्रज्ञप्ता:-कथिता इति पर्यन्तम् । 'से तं सुहम आउक्काइया' ते एते सूक्ष्मा कायिकाः शरीरादि गत्यागतिद्वारान्तद्वारैर्विविच्य कथिता इति ॥ सूक्ष्माप्कायिकान्निरूप्य बादराप्कायिकान्निरूपयितुं प्रश्नयन्नाह-'से कि तं' इत्यादि, 'से कि तं वायरआउक्काइया' अथ के ते बादराप्कायिका बादरनामकर्मोदयात् बादरास्ते कियन्त इति प्रश्नः, उत्तरयति --वायर आउक्काइया अणेगविहा पन्नत्ता' बादराप्कायिका १६, उपयोग १७, आहार १८, उपपात १९, स्थिति २०, समवहत २१, च्यवन २२, गत्यागति, इन द्वारो सम्बन्धी कथन जैसा सूक्ष्म पृथिवीकायिको के प्रकरण में कहा गया है वैसा ही इनके सम्बन्ध में भी कहलेना चाहिये, यही बात "सेसं तं चेव जाव दुगझ्या दु आगइया परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता' इस सूत्र द्वारा प्रकट की गई है-कि सस्थान द्वार से अतिरिक्त और सब अवगाहनादि द्वारगत यहां सूक्ष्मपृथिवीकायिकप्रकरण के जैसे ही है। ये भी द्विगतिक और द्विआगतिक होते है । प्रत्येक शरीरी असंख्यात होते है । 'सेतं सुहम आउक्काइया' इस प्राकर से सूक्ष्म अप्कायिक जीवो का यह कथन समाप्त हुमा । सूक्ष्म अप्कायिक जीवो का निरूपण करके अब बादर अप्कायिक जीवो का निरूपण सूत्र कार करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'से किं तं वादरआउक्काइया' हे भदन्त ? बादर नामकर्मोदयवाले वे बादर अकायिक जीव. कितने प्रकार के हैं ? उत्तर में प्रभु कहते है-'वायर आउक्काइया अणेगविहा पन्नत्ता' हे गौतम ? बादर अप्का૧૮, સમવહત ૧૯, યવન ૨૦ ગત્યાગતિ ૨૧ આ દ્વારે સંબંધી કથન સૂફમપૃથ્વીકાયિકે ના પ્રકરણમાં જે પ્રમાણે કહેલ છે, એ જ પ્રમાણેનું કથન આ અપૂકાયિક સૂક્ષ્મ જીવાના समयमा पय समसयु या वात-'सेसं त चेव जाव दुगइया दुआगइया परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता' मा सूत्र' 48वा२। ४७ छे. ४-संस्थान द्वारना ४थन सिवाय माहीना અવગાહના વિગેરે તમામ દ્વાર સંબંધી કથન અહિય સૂફમપૃથ્વીકાયિકના પ્રકરણમાં કહ્યા અનુસાર જ છે, આ સૂક્ષમ અપકાયિક જીવપણ બે ગતિમાંથી આવવા વાળા હોય છે प्रत्ये४ शशी असभ्यात डाय छे.' से तं सुहुम आउक्काइया' या प्रमाणे सूक्ष्म અપ્રકાયિક જીવોનું કથન છે. સૂફમ અપ્લાયિક જેનું નિરૂપણ કરીને હવે બાદર અપ્લાયિક જીવનનિરૂપણું સૂત્રકાર ४२ छ -मामा गौतम स्वाभीमे प्रभुने मे पूछ्यु छ है-“से किं तं यादर आउ. पकाइया" 3 मापन २ नाम भीयवा ते माह२ मयि४ वटसा असरना छे १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु -"यायर माउफ्कारया अणेगविहा पण्णता
SR No.009335
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages690
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size45 MB
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