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________________ श्री अनुत्तरोपपातिकंसूत्रे तत्र प्रत्येकं पुद्गलपरावर्त्तश्चतुर्था भवति - द्रव्यक्षेत्रकालभावभेदात् । तत्रापि द्रव्यपुद्गपरावर्त्तादयो वादर - सूक्ष्मभेदात्प्रत्येक द्विधा, यथा (१) वादरद्रव्यपुद्गल परावर्त्तः, (२) सूक्ष्मद्रव्यपुद्गलपरावर्त्तः, (३) वादरक्षेत्र पुद्गलपरावर्त्तः, (४) मूक्ष्मक्षेत्र पुद्गलपरावर्त:, (५) वादरकालपुद्गल - परावर्त्तः, (६) सुक्ष्मकालपुद्गलपरावर्त्तः, (७) वादरभावपुद्गलपरावर्त्तः, (८) सूक्ष्मभात्रपुद्गलपरात्रर्त्तः । ६६ औदारिकादीनां सप्तानां द्रप्यक्षेत्रकालभावविषयभेदात्प्रत्येकं चातुर्वि ध्येऽष्टाविशतिभेंदा भवन्ति । तत्रापि वादरक्ष्मभेदात्प्रत्येकं द्वैविध्ये पट्पञ्चाशद् भेदाः पुद्गलपरावर्त्तस्य जायन्ते । - यह पुद्गलपरावर्त, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव भेदसे प्रत्येक चार प्रकार का होता है । ये द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव रूप पुद्गलपरावर्त भी सूक्ष्म और बादर के भेद से प्रत्येक दोर प्रकार के होते हैं । जैसे(१) चादर द्रव्य पुद्गलपरावर्त, (२) सूक्ष्म द्रव्य पुद्गलपरात, (३) वादर क्षेत्र पुद्गलपरावर्त, (४) सूक्ष्म क्षेत्र पुदगलपरावर्ते, (५) बादर काल पुद्गल परावर्त, (६) सूक्ष्म काल पुद्गलपरावर्त, (७) घादर भाव पुद्गल परावर्त, (८) सूक्ष्म भाव पुद्गलपरावर्त, औदारिक आदि सातों ही पुद्गलपरावर्ती को द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से चौगुने करनेपर (२८) अट्ठाइस भेद होते हैं । इस प्रकार सूक्ष्म और बादर के भेदसे प्रत्येक दो दो प्रकार का होने से पुद्गल परावर्त के (५६) छप्पन भेद हो जाते हैं । આ પુદ્ગલપરાવર્ત દ્રવ્ય, ક્ષેત્ર, કાળ, ભાવ, ભેદથી પ્રત્યેક ચાર પ્રકારનાં થાય છે આ દ્રવ્ય ક્ષેત્ર, કાળ, ભાવ, રૂપ પુદ્ગલપરાવત પણુ સૂક્ષ્મ અને પાદરના ભેદથી પ્રત્યેક એ એ પ્રકારના થાય છે, જેમ (१) णाहर-द्रव्य-युगसपरावर्त, (२) सूक्ष्म- द्रव्य - युगसयरावर्त, (3) माहरक्षेत्र - युगापरावर्त, (४) सूक्ष्म - क्षेत्र - युगापरावर्त, (4) महर - अण-युगापरावर्त, (६) सूक्ष्म-क्षण-युगापरावर्त, (७) माहर-भाव - युगसपरावर्त, (८) सूक्ष्म-भावપુદ્ગલપરાવ. ઔદારિક આદિ સાતેય પુદ્ગલપરાવનિ દ્રવ્ય, ક્ષેત્ર, કાળ, ભાવથી ચારગુણા કરતાં (૨૮) અઠાવીસ ભેદ થાય છે. એ રીતે સૂક્ષ્મ અને ખાદરના ભેદથી પ્રત્યેક ખંખે પ્રકારના હાવાથી પુદ્ગલપરાવર્તીના (૫૬) છપ્પન ભેદ થાય છે.
SR No.009333
Book TitleAnuttaropapatik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuttaropapatikdasha
File Size13 MB
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