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________________ मसाधर्मपाल णं अरहताण जार संपत्ताणं, णमोऽत्यु पं धम्मघोसाणं थेराणे मम धम्मायरियाण धम्मोवएसगाणं, पुस्विपिणं मए धम्म. घोसाणं थेराण अतिए सव्वे पाणाइयाए पञ्चरसाए जावजीवाए जाय परिग्गहे, इयाणिपि ण अह तेसिं चेव भगवंताण अंतियं सव्व पाणाइवाइ पच्चरसामि जाव परिग्गह पच्चासामि जावजीवाए, जहा संदओ जाव चरिमेहिं उस्सासेहि वोसिरामितिकटु आलोइयपडिवते समाहिपत्ते कालगए ॥ सू० ३ ॥ ____टीका-तन खलु स धर्मरुचिरनगारो धर्मयोपेण स्थविरेणैवमुक्त. सन् धर्म घोपस्य स्थविरस्यान्तिका-समीपात् प्रतिनिझामति, प्रतिनिरभ्य सुभूमिभागो द्यानाद् अदरसामन्ते-नानिदरे नातीसमीपे स्थण्डिल मतिलेपयति, प्रतिलेख्य तत स्माद् शारदिकात् निक्तरुदुत् तुम्नमादेक रिन्दुक गृहाति, होला स्थण्डिले भूमो 'निासरइ ' निसजति परिठापयति । ततः खलु तस्य शरदिकस्य तएण से धम्मरुई अणगारे इ यादि । __टीकार्थ-(तएण) इसके बाद ( से धम्मरई अणगारे धम्मघोसे ण थेरेण एव कुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अनियाओपटिनियमइ) वे धर्म रुचि अनगार धर्म घोप से इस प्रकार कहे जाने पर पर्नघोप के पास से चले आये (पडिनिकग्वमित्ता सुभूमिभागाओ उजाणाओं अदर सामते थडिल पडिलेहेह,पडिलेहितानओसालइयाओ एग बिंदुग गहेत, गरित्ता थडलसि निसिरह, तो ण तस्स सालइयस्स तित्त बडुयः त एण से धम्मरूई अणगारे इत्यादि थ-( त एण) त्या२पछी ( से धम्मई अणगारे धम्मघोसेग थेरेण एव वुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अतियाओ पडिनिरखमइ ) તે ધર્મરુચિ અનગાર ધમષની આ વાત સાંભળીને તેમની પાસેથી આવતા રહ્યા (पडिनिस्खमित्ता मुभूमिभागाओ उज्जाणाओ अदूरसामते वडिल पडिले. हेड, पडिलेहिता तो सालझ्याओ एग बिंदुग गहेइ, गहित्ता थडिलमि निसरह, तो ण तस्म सालइयस्स तितकडुयस्स वहुनेहारगाढस्स गधेण पिनीलिगा
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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