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________________ माताधर्मकपा सद्दे विप्पसरित्था । तएणं वारवईए नयरएि नवजोयणवित्थिन्नाए वारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दसदसारा जाव गणिया सहस्साई कोमुदियाए भेरीए सदं सोचा णिसम्म हतुट्ठ० जाव पहाया आविद्ध वग्धारियमल्लदामकलावा अहतवत्थचंदणोकिन्नगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एव गयगया रहसीया संदमाणीगया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसव. ग्गुरापरिक्खित्ता कण्हस्स वासुदेवस्त अंतियं पाउभवित्था । तएणं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खे दसदसारे जाव अंतियं पाउब्भमाणे पासह, पासित्ता हतुटू जाव कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ,सदावित्ता एव वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । चाउरंगिणी सेणं सजेह, विजय च गधहत्थिं उवहवेह । ते वि तहत्ति उवहवेंति, जाव पज्जुवासंति ॥सू०९॥ ___टीका-' तरण तीसे ' इत्यादि । ततः खलु तस्यां कौमुदिकाया भेया ताडिताया सत्या द्वारावत्या नगर्या नवयोजनविस्तीर्णाया द्वादशयोजनायामाया 'सिंघाडगतियचउकचच्चर 'कदरदरीविवरकुहरगिरिसिहरनगरगोउर पासाय दुवार तएणं तीसे कोमुइयाए ' इत्यादि । टीकार्थ-(तएण) इसके बाद (तीसे को मुइयाए) उस कौमुदी (भेरियाए तालियाए समाणीयाए) भेरी के बजने पर (वारवहए नयरीए नवजोजन वित्थिनाए) द्वारावती नगरी के कि जो नव ९ योजन विस्तीर्ण (चौडी) तथा (दुवालसजोयणायामाए)१२ बारह योजन लबी थी-(सिंघाडगतिय चउफ चच्चरकददरीविवरकुहरगिरिसिहरनगरगोउरपासायदुवारंभ " त एण तीसे कोमुइयाए " 'त्या ॥ . साथ-"तएण" त्या२ मा " तीसे कोमुइयाए" a मुही " भेरियाए तालियाए समाणी" aशन " 'वारवइए' नयरीए नरजोजन विस्थिन्नाए "'नप योसन विस्तार' पामेली तेभ " दुवालमजोयणाएं ""भार यान सामी "सिधाडगतियटक्कचच्चरकंदरदरीविवरकुहरगिरिबिहरनगरगोउरमामायदुवारमवण
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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