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________________ भनगारधर्मामृतवपिणो टोका अ०५ शैल राजवर्णनम् पव्वइया, तहाणं अहं नो सचाएमि पवइत्ताए, अहन्न देवाणुप्पियाण अंतिए पचाणुव्वइयं जाव समणोवासए जाव अहिगयजीवाजीवे जाव अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणे विहरामि।पथगपामोक्खा पंचमंतिसयासमणोवालया जाया, थावच्चापुत्ते पहिया जणवयविहारं विहरइ ॥सू०१८॥ 'तेण कालेण ' इत्यादि। टीका-तस्मिन् काले तम्मिन् समये शैलकपुर नाम नगरमासीत् । नगराद् वहिः सुभूमिभाग नामोद्यानम् । तस्मिन् नगरे शैलको नाम राजाऽभूत् । पद्मावतीदेवी-पप्रावतीनाम्नीदेवी पट्टराज्ञो । मण्डककुमारी युवरानोऽभवत् । तस्य खलु शैलकस्य राज्ञः पान्थकप्रमुखाः पञ्चशतानि मन्त्रिणः अमात्याः आसन् , कीदृशास्ते मन्त्रिण इत्याह-' उप्पत्तियाए ' औत्पत्तिक्या शास्त्राभ्यासादि निमित्त विनैव सद्भाविनी तथाविधक्षयोपशमजन्या मति रौत्पत्तिकी तया, 'वैणइयाए ' वैनयिस्या-विनय 'तेण कालेण तेण समएण' इत्यादि। टोकार्य-(तेण कालेण तेण समएण ) उस काल और उस समय में (सेलगपुरे नाम नगर होत्या) शैलक पुर नाम का नगर था (सुभूमि भागे उजाणे सेलए राया पउभावइ देवी मुडए कुमारे जुवराया) उस में सुभूमि माग नाम का उद्यान या । शेलक पुर राजा का नाम शैलक था। उसकी पटरानी का नाम पद्मावती था। मंडूक नाम का इसका युवराज कुमार था। (तस्स ण सेलगस्स पथगपामोक्खा पच मतिसयहोत्या) इस शैलक राजा के पथिक प्रमुख पाँचसौ मत्री थे। (उप्पत्तियाए वेणइयाए,कम्मियाए,परिणामियोए, उववेया रजधुर चिंत तेण कालेण तेण समएण इत्यादि । A-(वेण कालेण देण समएण) ते आणे भने ते समये ( सेलगपुरे नाम नगर होत्था) : १२ नामे न तु (सुभूमिभागे उज्जणे सेडए राया पउमावइ देवी मुडए कुमारे जुवराया) त्या सुभूमि माग नाभे धान હતુ શિલડ પુરના રાજાનું નામ શૈલક હતુ પદ્માવતી તેની પટરાણી હતી भडू नाम ते राजन युवरा४ ते ( तस्म ण से उगरस पथग पामोक्खा पचम तिमय होत्या) 0 15 राजन पाय प्रभुप पायसे। भीमाता (उत्पत्तियाए वेगइयाए कम्मियाए परिणामियाए अवेया रज्जबुर विषय ति) मा
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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