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________________ प्रमेयचन्द्रिका रीका श०२६ उ.१ सु०४ नैरयिकाणां आयुकर्मवन्धनिरूपणम् ५९३ ___ मूलम्-नेरइए जं भंते ! आउयं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए पत्तारि भंगा, एवं सव्वत्थ वि नेरइयाणं चत्तारि भंगा, नवरं कण्हलेस्ले कण्हपक्खिए य पढमतइया भंगा, सम्मामिच्छत्ते तइय चउत्था। असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कण्हलेस्से वि चत्तारि भंगा भाणियव्वा, सेसं जहा नेरइयाणं, एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढवीकाइयाणं सव्वस्थ वि चत्तारि भंगा, नवरं कण्हपश्खिए पढमतइया भंगा। तेउ. लेस्से पुच्छा, गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्तइ सेलेसु सव्वस्थ चत्तारि भंगा। एवं आउक्काइ य वणस्तइकाइयाणं वि निरवसेसं तेउक्काइय वाउकाइयाणं सव्वत्थ वि पढमतइया भंगा। वेइंदियतेइंदियचउरिदिया णं पि सम्वत्थ वि पढमतइया भंगा। नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिवोहियनाणे सुचनाणे तइओ भंगो। पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपविखए पढमतइया भंगा। सम्मामिच्छत्ते तइयचउत्था भंगा, सम्मत्ते नागे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाण, एएसु पंचसु वि पदेसु विइयविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा। मणुस्साणं जहा जीवाणं नवरं सम्मत्ते ओहिए नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे, एएसु विइयविरुणा भंगा, सेसं तं चेव। वाणमंतरजोइसियवमाणिया जहा असुरकुमारा। नामंगोयं अंतरायं च, एयाणि जहा नाणावरणिज्जं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥सू० ४॥ छब्बीसमे बंधसए पढमो उद्देसो लमत्तो ॥२६-१॥ छाया-नैरयिकः खलु भदन्त ! आयुष्कं कर्म किम् अवध्नात् पृच्छा, गौतम ! अरत्येककश्चत्वारो भङ्गा, एवं सर्वत्रापि नैरयिकाणां चत्वारो भङ्गाः, नवरं कृष्णालेश्ये कृष्णपाक्षिके प्रथमतृतीयौ भङ्गो, सम्यग्मिथ्यात्वे तृतीयचतुर्यो । भ० ७५
SR No.009326
Book TitleBhagwati Sutra Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages708
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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