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________________ मैं यचन्द्रिका टीकी श०२४ उ.२० सू०२ शर्क राप्रभायानारकोत्पत्यादिकम् '२४३ गमए' सप्तमकेतु 'जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तममहियाई' जघन्येन प्रयः त्रिंशत् सागरोपमाणि अन्तर्मुहूर्ताभ्यधिकानि। 'उकोसेणं छावहिं सागरोचमाई दोहि पुन्चकोडीहिं अमहियाई उत्कर्षेण षट्पष्टिः सागरोपमाणि द्वाभ्यां पूर्वकोटिरभ्याम, भ्यधिकानि । अट्ठमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोदमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई अष्टमगमके तु जघन्येन त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाणि अन्तर्मुहूर्ताभ्यधिकानि। 'उकोसेणं छावटिं सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई उत्कर्षेण पक्षष्टिः सागरोपमाणि द्वाभ्यमन्तर्मुहूर्ताभ्यामभ्यधिकानि । 'णवमगमए जहन्नेणं तेत्तीस सागरोवमाई पुन्चकोडीए अमहियाई नवमगमके तु जघन्येन त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाणि पूर्वको अधिक २२ लागरोपम का है और उत्कृष्ट से तीन पूर्वकोटि अधिक ६६ सागरोगम का है । 'सत्तमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतो. मुहुत्तमनशियाई उक्कोसेणं छावहि लागरोवामाई दोहिं पुव्वकीडीहिं अमहियाई" सातवें गम में जघन्य से एक अन्तर्मुहूर्त अधिक ३१ सागरोपम का है और उत्कृष्ट ले दो पूर्वकोटि अधिक ६६ सागरोपम का है 'अहमगमए जहन्नेणं तेत्तीस सागरोधमाई अंतोमुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं छावहिं सागरोवमा दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अन्भहियाई? आठवें गम में जघन्य से एक अन्तर्मुहूर्त अधिक तेत्तीस ३३ सागरोपर्मका है और उत्कृष्ट से दो अन्तर्जुहूर्त अधिक ६६ सागरोपम का है। 'णवमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुषकोडीए अभहियाई, ૨૨ બાવીસ સાગરેપમાને છે અને ઉત્કૃષ્ટથી ત્રણ પૂર્વકેટિ અધિક છાસઠ सागशेयमन छे. 'सत्तमगमए जहन्नेण तेत्तीस सागरोवमाई तोमुत्तमम्भहियाई उकोसेणं छावदि सागरोवमाई दोहि तोमुहुत्तेहि अमहियाई' सातभा ગમમાં જઘન્યથી એક અંતર્મુહૂર્વ અધિક ૩૩ તેત્રીસ સાગરોપમન છે, અને Seघी मे. ट मधिः ६६ छ।स४ सागरामनी छे. 'अट्टमगमए जी नेण तेतीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तममहियाई उनकोखेणं छावदि-सागरो. माई दोहि तोमुहुत्तेहिं अन्भडियई' मामा गममा धन्यथा मत.. મુહૂર્ત અધિક ૩૩ તેત્રીસ સાગરોપમનો છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી બે અતણ इत अधिः ११ घास सागरोपमना छ. 'णवमगमए जहन्नेणं तेत्तीस"साग रोक्माई पुनकोडीए अभहियाई उक्कोखेणं छावढि सागरोवमाई. दोहि पुव..
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
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