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________________ २५२ भगवतीस्त्रे नावीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तममहियाई जघन्येन द्वाविंशतिः सागरोपमाणि अन्तर्मुहर्ताभ्यधिकानि, 'उक्कोसेणं छावद्धि सागरोवमाई तिहिं पुन्चकोडीहिं अभहियाई उत्कर्षेण पट पष्टिः सागरोपमाणि निसृभिः पूर्व कोटिभिरभ्यधिकानि ४ । पंचमगमए जहन्नेणं वादीसं सागरोक्साइं अंतोमुहुनमयहियाई पञ्चमगमके तु जघन्येन द्वाविंशतिः सागरोपमाणि अन्तर्मुहुभ्यधिकानि । 'उक्कोसेणं छावहि सागरोक्माई तिहिं अंतोमुहत्तेहिं जन्महिगाई' उत्कण पट्पष्टिः सागरोपमाणि त्रिभिरन्तर्मुहूत्तरभ्यधिकानि ५ । 'उगमए जहन्नेणं वावीस सागरोक्माई पुचकोडीए अब्भहियाई पष्ठ गमके जघन्येन द्वाविंशतिः सागरोपमाणि पूर्वकोटयाऽभ्यधिकानि 'उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहि पुत्र कोडीहिं अमहियाई उत्कर्षेण पट् पष्टिः सागरोपमाणि विमृभिः पूर्वकोटिभिरभ्यधिकानि । 'सत्तम गमे जहन्नेणं बावीसं सागरोदमाई अंतोमुहत्तनमहियाई उक्कोसेणं छावहिँ सागरोवमाई तिहिं पुचकोडीहिं अमहियाई' तथा चतुर्थ ग़म में जघन्य से एफ अन्तर्छ हर्स अधिक २२ सागरोपम का है और 'उत्कृष्ट से तीन पूर्वकोटि अधिक ६६ सापरोपम का है। 'पंचमगमए जहन्नेणं घावीसं सागरोचमाई अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं 'छावहि सागरोचमाई तिहिं अंतोमुत्तमम्अहियाई' पंचम गम में जघन्य से एक अन्तर्मुहर्त अधिक २२ सागरोपम का है और उस्कृष्ट से तीन अन्तर्मुहूर्त अधिक ६६ सागरोपम का है 'छडगमए जहन्नेणं यावीसं सागरोवमाई पुचकोडीए अभिहियाई, उछोसेणं छायढि सागरोवमाई तिहिं पुव्यकोडीए अमहियाई छठे गल में जघन्य से एक पूर्वकोटि •छास सागरोपभनी छ. 'चउत्थगमे जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई अंतोमु'हुत्तममहियाई उक्कोसेणं छावद्धि सागरोवमाईतिहिं पुत्वकोडीहिं अन्भहियाई तथा ચોથા ગમમાં જઘન્યથી એક અંતર્મુહૂર્ત અધિક ૨૨ બાવીસ સાગરેપમને કસવેલ છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી ત્રણ પૂર્વકેટિ અધિક ૬૬ છાસઠ સાગરોપમને छ. 'पंचमगमए जहण्णेणं वावीसं सागरोक्माई तोमुहुत्तममहियाई' उक्कोसेणं छावर्द्धि सागरोवमाई तिहिं अंतोमुहुत्तमभहियाई पायमा गममा यसवय જઘન્યથી એક અંતર્મુહૂર્ત અધિક ૨૨ બાવીસ સાગરોપમને છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી '३ मतभुत अधि४ ६६ छ। सागापमान 2. 'छगमए जहन्नेणं बावीस सागरोवमाई पुव्वकोडीए अमहियाई उक्कोसेण छावष्टुिं सागरोवमाई “तिहिं पुवकोडीहिं अभहियाई' ७४ गममा धन्यथा से पूटिmus
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
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