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________________ भगवतीद स्यात् तिक्तश्च कटुश्च कपायाश्च २। स्यात् तिक्तश्च कटुकाश्च कषायश्च ३, स्यात तिक्ताश्च कटुकश्च कपायश्चेति चतुर्थः। एवं तिक्तकटुकाम्लैरपि चत्वारो भंगाः । एवं तिक्तकटुमधुरैश्चत्वारः, एवं तिक्तकपायाम्लैश्चत्वारो भेदाः, एवं तिक्तरूपायहो जाते हैं । यदि वह चतुःप्रदेशिक स्कन्ध तीन रसों वाला होता है तो इस प्रकार से वह तीन रसों वाला हो सकता है-'स्थात् निक्तश्च कटुकश्च कषायश्च १' कदाचित् वह तिक्तरस वाला भी हो सकता है कटुक रस वाला भी हो सकता है और कषाय रस वाला भी हो सकता हैं १ अथवा 'स्यात् तिक्तश्च कटुकश्च कषायाश्च २' कदाचित् वह एक प्रदेश में तिक्त रस वाला भी हो सकता है एक दूसरे प्रदेश में कटुक रस वाला भी हो सकता है और अपने दो प्रदेशों में वह कषाय रस वाला भी हो सकता है २ अथश 'स्थात् तिक्तश्च कटुकाश्च कषायश्च' वह अपने एकप्रदेश में तिक्तरस वाला भी हो सकता है दो प्रदेशों में कटुक रस वाला भी हो सकता है और अपने एक प्रदेश में कषायरस चाला भी हो सकता है ३ अथवा स्यात् तिक्ताश्च कटुकश्च कषायश्च' वह अपने दो प्रदेशों में तिक्तरल वाला भी हो सकता है एक प्रदेश में कटुकरस वाला भी हो सकता है और एक दूसरे प्रदेश में कषायरस રીતે બ્રિકસંગી ૧૦ દમ ભંગના ૪-૪ ચાર ભેદ બનતા હોવાથી તમામ મળીને કુલ ૪૦ ચાલીય ભંગ થઈ જાય છે. જે તે ચાર પ્રદેશી કંધ ત્રણ રસવાળો હોય છે તે તે આ રીતે ત્રણ रसावाणी खाश छ. 'स्यात् तितश्च कटुकश्च कपायश्च' हाय तेतीमा रसपानी પણ હોઈ શકે છે. અને કષાય રસવાળો પણ હોઈ શકે છે. આ पडे धो छ १ सय 'स्यात् तिक्तश्च कटुकश्च कषायाश्चर' કદાચ તે પિતાના એક પ્રદેશમાં તીખા રસવાળે પણ હોઈ શકે છે. તથા બીજા એક પ્રદેશમાં કડવા રસવાળે હોઈ શકે છે, તથા બે પ્રદેશોમાં ४पाय रसवाणी पाय . म मान्न म छ.२ 'स्यात् तिक्तश्च कटुकाश्च कषायश्च पाताना ४ प्रदेशमा तीमा २सवाणी ५ श छ में પ્રદેશમાં કડવા રસવાળ પણ હે ઈ શકે છે. અને એક પ્રદેશમાં કષાયતુરા २सपाणी डा श) छ. मा शत श्री यो छ 3 अथवा स्यात् तिताश्च कटुकच कषायश्च' ते पाताना मे प्रदेशमा तीमा २सपाको ५ डा श છે. એક પ્રદેશમાં કડવા રસવાળો પણ હોઈ શકે છે. અને એક પ્રદેશમાં
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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