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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १७ उ०३ सू० १ जीवानामेजनावत्वनिरूपणम् ४२५ तु कारणान्तरेण इतिभावः । एजनाधिकारादेव एजनाभेदान् दर्शयितुमाह-'कई विहा' इत्यादि । 'काविहाणं भंते ।' कतिविधा खलु भदन्त ! 'एयणा पण्णत्ता' एजना प्रज्ञता हे भदन्त ! का इयम् एजना कतिविधा च सा या शैलेश्यवस्थि तस्य जीवस्य न भवतीति एजना विषयक प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि। 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंचविहा एयणा पण्णता' पञ्चविधा एजना मज्ञप्ता, सा गेणं' इसके कहने का तात्पर्य ऐहा है, कि शैलेशी अवस्था में परप्रयोगको लेकर ही कंपनादि क्रियाएँ होती हैं । और दूसरे कारणों से नहीं। इस प्रकार जो कंपनादि क्रियाओं का निषेध किया गया है वह परप्रयोग के लियाय किया गया है। एजना के अधिकार से ही अब खूत्रकार एजना के भेदों को प्रकट करने के अभिप्राय से आगे का प्रकरण प्रारम्भ करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'काविहा णं अंते ! एयणा पण्णत्ता' हे भदन्त ! एजना कंपन कितने प्रकार की कही गई है ? अर्थात् यह एजना क्या है और यह कितने प्रकार की होती है तथा शैलेशी अवस्था में रिधत जीव को पौनसी एजना नहीं होती है ? इस प्रकार का यह एजनों विषयक प्रश्न है-इसके उत्तर में प्रभु काहते है'गोयमा !' हे गौतम! 'पंचविहा एयणा पण्णत्ता' एजना पांच प्रकार की कही गई है। योग द्वारा आत्मप्रदेशों का कंपन होना या "णपणत्थ एगेणं परप्पओगेणं" डवानु तात्पर्य स छ -शैदेशी અવસ્થામાં પરપ્રયાગને લઈને જ કંપન વિગેરે ક્રિયાઓ થાય છે, બીજા કારણેથી નહીં. આ રીતે જે કંપનાદિ ક્રિયાઓને નિષેધ કરવામાં આવે છે, તે પર પ્રગના શિવાય કરવામાં આવ્યું છે. એજના ના અધિકારથી જ હવે સૂત્રકાર એજનાના ભેદને પ્રગટ કરવાના અભિપ્રાયથી આગળનું પ્રકરણ પ્રારંભ કરે છે તેમાં ગૌતમ स्वामी प्रसुन मे पूछे छ-"कइ विहा गं भंते ! एयणा पण्णत्ता' भगवन "एजन" पन.team नी ही छ ? अर्थात् मा सना शुछे? અને તે કેટલા પ્રકારની છે? તેમજ શશી અવસ્થામાં રહેલા જીવને કઈ એજના થતી નથી. આ રીતને આ એજના વિષયમાં પ્રશ્ન છે. તેના ઉત્તરમાં પ્રભુ ४९ छे -"गोयमा! गौतम "पंचविहा एयणा पण्णता" मेनन यांच्य भ० ५४
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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