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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१६ उ०५ सू०३ गङ्गदत्तदेवस्यागमनादिनिरूपणम् १५१ तएणं से देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो बंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु भंते ! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे माथि मिच्छादिहि उत्रवन्नए देवे ममं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया। तए णं अहं तं मायि मिच्छादिहिउववन्नगं देवं एवं वयासी परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया से कहमेयं भंते ! एवं ? गंगदत्ताइ समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी अहं पि णं गंगदत्ता! एंव माइक्खामि भालेमि पन्नवेमि परूवेमि परिणममाणा पोग्गला परिणया जाव नो अपरिणया सच्चे मे से अंडे। तए णं से गंगदत्तदेवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमद्रं सोचा निलम्म हट्टतुटु० समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नञ्चालन्ने जाव पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसेय जाव धम्म परिकहेइ, जाव आराहए भवइ तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्म भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हहतुढे उठाए उठेइ उट्टाए उहित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता, नमंसित्ता एवं वयासी-अहं णं भंते! गंगदत्ते देवे किं भवसिद्धिए अभवलिद्धिए एवं जही सूरियाभो जाव बतीसइविहं नट्टविहिं उवदंसेइ, उवदंसेत्ता जाव तमेव दिसं पडिगए ॥सू०३॥
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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