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________________ १३६ भगवती सर्व शो भगवते नमस्यति यावत्पर्युपास्ते कथमच शक्रः संक्षे पेण अष्टौ प्रश्नान् पृष्ट्वा सोत्सुको गतः इत्यत्र कारणं ज्ञातुं भगवन्तं पृच्छति गौतम :- 'भंते ति' इत्यादि । मूलम् - 'भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदन नमसइ वंदित्ता, नसित्ता एवं वयासी अन्नया णं भंते ! सक्के देविदे देवराया देवावियं वंदइ नमसह सकारेह जाव पज्जुवाल, किण्णं भंते अज्ज सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं अटू उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छर, पुच्छित्ता संभंतियवंदणणं वंदइ नमसह जाव गए गोयमाह समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयसा ! महासुके कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महड्डिया जाव महासोक्खा एगविमानंसि देवत्ताए डववन्ना, तंजहा माथि - मिच्छादिट्टि उवनन्नए य अमाथि सम्मदिडिउवधन्नए य । तए से माथिमिच्छादिट्ठिउबवन्नए देवे तं अमाथिसम्मदिहिउववन्नगं देवं एवं वयासी परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया । तए णं से अमाथिसम्मदिट्टिडववन्नए देवे तं मायिमिच्छादिट्टिउववन्नगं देवं एवं क्यासी परिणममाणा पोग्गला परिणया तो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परि 'दुरुहिता' सवार होकर 'जामेव दिसं पात्र भूए' फिर वह जिस दिशा से आया था - 'तामेव दिसं 'डिगए' उसी दिशा से चला गया || सू० १ ॥ सवार थाने मेसीने " जामेव दिसं पाकभूए " पछी ते हे हिशाथी भाव्या हते. “ तामेव दिसं पडिगए " ते दिशा तर पाछे। थायो गये। ॥सू०॥
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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