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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० १ सू०१ शाखश्रावकचरितनिरूपणम् ६५५. शवश्रावकवक्तव्यता। - मूलम्-'तेणं कालेणं, तेणं समएणं, सावत्थी नाम नयरी होत्था, वन्नओ। कोढ़ए चेइए, वण्णओ। तत्थ णं सावत्थीए नयरीए बहवे संखप्पासोक्खा समणोवासगा परिवसंति, अड्डा, जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति। तस्लणे संखस्स समणोवासगस्स उत्पला नामं भारिया होत्था, सुकुमाल जाव सुरूवा समणोवालिया अभिगयजीवाजीवा जाब विहरइ। तत्थणं सावत्थीए नयरीए पोक्खली नाम समणोवासए परिवसइ। अड्डे अभिगय जाव विहरइ। तेणं कालेणं, तेणं समएणं सामी समोसढे, परिसा निग्गया, जाव पज्जुवासइ। तएणं ते समणोवासगा इसीसे जहा आलभियाए जाव पज्जुवासइ। तएणं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालयाए धम्मकहा जाव परिसा पडिगया। तएणं ते समणोवासगासमणस्स भगवओमहावीरस्सअंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हहतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदति, नमसंति, वंदित्ता, नमंसित्ता पसिणाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अट्टाई परियादियंति, परियाइत्ता, उट्टाए उठेंति, उहित्तासमणस्स भगवओ महावीरस्स, अंतियाओ कोट्टयाओ, बेइयाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्ख. मित्ता जेणेव सावत्थी नगरी, तेणेव पहारेथगमणाए ॥सू०१॥ मात्मा के भेदों की प्ररूपणा करनेरूप अर्थवाला १० वां आत्मा उदेशक है। इस प्रकार से पारहवें शतक में ये दश उद्देशक हैं। " દેવ નામના નવમા ઉદ્દેશકમા દેવવિશેની અને આત્મા નામના દસમાં છે શમાં આત્માની પ્રરૂપણ કરવામાં આવી છે
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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